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चंद्र ग्रहण दोष से बचाव? चंद्र ग्रहण दोष की पूजा विधि (Chandra Grahan Dosh Se Bachav? Chandra Grahan Dosh Ki Puja Vidhi)

चंद्र ग्रहण दोष से बचाव? चंद्र ग्रहण दोष की पूजा विधि (Chandra Grahan Dosh Se Bachav? Chandra Grahan Dosh Ki Puja Vidhi)

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लोगों के पास सब कुछ होते हुए भी वो कोई न कोई चीज के लिए परेशान होते है। कुछ ऐसे स्टूडेंट्स देखा होगा आपने जो पढ़ाई में तो अव्वल आते है पर वो अपने मुकाम तक नहीं पहुंच पाते। कुछ ऐसे भी लोग है जो धन के मामले में तो खुशनसीब है पर उनकी शादीशुदा जिंदगी में बहुत सारी समस्याएं होती है। ये सारी समस्याएं किसी न किसी ग्रह दोष के कारण ही होती है। ज्योतिष शास्त्र में कई सारे दोष और योग है। उन्हीं में से एक दोष है चंद्र ग्रहण दोष। आज हम जानेंगे चंद्र ग्रहण दोष से जुड़ें जरुरी बातों के बारे में। तो, चलिए शुरू करते है :

जन्म कुंडली में चन्द्रमा जब राहु या केतु के साथ विराजमान हो तो चंद्र ग्रहण दोष का निर्माण होता है। इस चंद्र ग्रहण दोष का प्रभाव कुंडली के प्रत्येक भाव और प्रत्येक राशि पर अलग अलग तरह से पड़ती है।

क्या आपके भी जन्म कुंडली में चंद्र ग्रहण दोष है – पता करें कैसे (Janma kundali me Chandra Grahan Dosh) ?

जिस प्रकार वास्तव में चंद्र या सूर्य ग्रहण लगने पर हर तरफ अंधकार छा जाता है ठीक उसी प्रकार जन्म कुंडली में भी अगर ग्रहण दोष लग जाये तो जातक के जीवन में अंधकार होने की संभावना होती है। ग्रहण दोष होने के कारण जातक को आर्थिक, सामाजिक, तथा मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ग्रहण दोष इतना प्रभावशाली होता है कि जातक अथवा जातिका की हर तरह से विकास रुक जाती है। ग्रहण दोष वाले जातकों के जीवन में एक के बाद एक परेशानी लगी ही रहती है और इसका यदि सही समय पर निवारण न किया जाए तो जातक हिम्मत हार कर मन ही मन पूरी तरह से टूट जाता है।

जन्म कुंडली में उपस्थित चंद्र दोष का उपाय : (Chandra Dosh ka Upay) 

  • जन्म कुंडली में चंद्र ग्रहण दोष बनता है चन्द्रमा और राहु या केतु के युति या दृष्टि सम्बन्ध के कारण। इसलिए, चंद्र ग्रहण दोष का उपाय  भी इन्हीं ग्रहों के आधिपत्य देवताओं के पूजन से किया जाता है। चंद्र ग्रहण दोष को दूर करने के कई उपाय है।  आइये जान लेते है उन उपायों के बारे में :
  • ऐसी मान्यता है कि, चंद्र ग्रहण दोष से पीड़ित जातकों को भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए और इसके साथ ही महामृत्युंजय मंत्र की जाप करनी चाहिए।  इसके आलावा भगवान शिव कवच का सही रूप से पाठ करने से भी चंद्र ग्रहण दोष का निवारण होता है।
  • चन्द्रमा के प्रत्याधि देवता “जल” को माना जाता है। इसलिए ऐसी मान्यता है कि जल अर्थात वरुण के देव है भगवान श्री गणेश जी।  इसलिए भगवान श्री गणेश जी का सही रूप से पूजन करने से चंद्र ग्रहण दोष दूर हो जाता है।
  • जन्म कुंडली में चन्द्रमा यदि केतु के साथ युति बनाकर ग्रहण दोष का निर्माण कर रहा हो तो ऐसी अवस्था में भगवान श्री गणेश का पूजन करें।

यह भी पढ़े – कुंडली के 12 भावों में शनि और केतु युति का फल

चंद्र ग्रहण दोष पूजा विधि : (Chandra Grahan Dosh Puja Vidhi)

चंद्र ग्रहण दोष दूर करने के लिए चंद्र देव की पूजा का भी विधान है। इसके लिए आपको एक सोमवार पूजा उठानी पड़ती है और अगले सोमवार उस पूजा का समापन करना होता है। यह पूजा सात दिनों की होती है। लेकिन कई परिस्थितियों के कारण यह पूजा 7 से 10 दिनों भी चलती है पर यहाँ एक खास बात पर ध्यान देना चाहिए कि पूजा यदि 10 दिनों की हो तब भी इस पूजा की अंतिम तिथि सोमवार को ही पड़े। 

चंद्र ग्रहण दोष मंत्र जाप विधि : (Chandra Grahan Dosh Mantra Jaap Vidhi)

किसी भी पूजा को संपन्न करने के लिए जरूरी है मंत्र साधना या मंत्र जाप। यदि आप सही रूप से मंत्र जाप और विधिवत पूजन करेंगे तब ही आपकी पूजा संपन्न और फलदायी होता है। चंद्र ग्रहण दोष में चंद्र मंत्र का जाप 125,000 बार करना चाहिए।

चंद्र ग्रहण दोष पूजा में पांच या 7 पंडित जी भगवान शिव और उनके परिवार की विधिवत पूजन करते है। साथ ही पंडितों द्वारा 125,000 बार चंद्र मंत्र का जाप कराया जाता है और मंत्र जाप के बाद पूजा, हवन तथा दान दक्षिणा आदि क्रियाओं को संपन्न किया जाता है।

चंद्र ग्रहण दोष संकल्प :

सनातन हिन्दू मान्यताओं के अनुसार चंद्र ग्रहण दोष का संकल्प लेते समय पंडितों को अपने गोत्र का नाम बोलना होता है। पंडितों के अलावा पूजा करवाने वाले यजमान को भी अपने पिता और अपने गोत्र का नाम बोलना होता है। इसके अलावा जातक अपनी मनोकामना और चंद्र वेद मंत्र को भी बोलता है ।

संकल्प लेने के बाद सारे पंडित तथा यजमान चन्द्र वेद मंत्र का जाप करना प्रारम्भ करते हैं। ऐसा माना जाता है की प्रत्येक पंडित इस मंत्र का प्रतिदिन जाप लगभग 8 से 10 घंटे तक करता है ताकि मंत्र की 125,000 बार के जाप को निश्चित की गई अवधि में पूर्ण कर सकें।

निश्चित की गई अवधि अर्थात सोमवार को जाप पूरा हो जाने पर सबसे प्रथम भगवान गणेश, भगवान शिव, माता पार्वती,  तथा समस्त शिव परिवार की पूजा फल-फूल, दूध, दही, घी, मधु, शक्कर, दीप, धूप, मिठाई, हलवा तथा अन्य वस्तुओं के साथ की जाती है और इसके बाद मुख्य पंडित जी के द्वारा चन्द्र मंत्र का जाप करवाया जाता है।इसके पश्चात एक सूखे नारियल को उपर के तरफ से काटकर उसके अंदर पूजा से जुड़ी सामग्री भरकर उस नारियल को विशेष मंत्रों को बोलते हुए हवन कुंड की पवित्र अग्नि में आहुति के रूप में अर्पित किया जाता है। इसके बाद यजमान को हवन की अग्नि की 3, 5 या 7 परिक्रमाएं करने होते है।

Frequently Asked Questions

1. चंद्र ग्रहण दोष में किन देवताओं की पूजा करनी चाहिए ?

चंद्र ग्रहण दोष में भगवान श्री गणेश, और भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।

2. चंद्र ग्रहण दोष किन ग्रहों की युति के कारण होता है ?

चंद्र ग्रहण दोष, चन्द्रमा का राहु या केतु के साथ एक साथ युति बनाने से होता है।

3. क्या चंद्र दोष का उपाय संभव है ?

जी हाँ, चंद्र दोष का उपाय संभव है।