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ज्योतिष में संतान योग: क्या यह जन्म के समय की भविष्यवाणी कर सकता है और क्या हैं संतानहीनता के उपाय?

ज्योतिष में संतान योग: क्या यह जन्म के समय की भविष्यवाणी कर सकता है और क्या हैं संतानहीनता के उपाय?

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पृथ्वी पर हर एक इंसान के बच्चे हैं – किसने कहा? ऐसे कई जोड़े अथवा दम्पत्ति हैं जिनके बच्चे हैं, लेकिन, बहुत सारे बाँझ दम्पत्ति भी हैं। गर्भावस्था और प्रसव की अवधारणा के पीछे सिर्फ विज्ञान नहीं है, एक जन्म चार्ट में ग्रहों और भावों के स्वामियों की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। ज्योतिष की एक शाखा है “संतान योग ज्योतिष”, इसमें संतान योग के बारे में सारी जानकारियां और संतान प्राप्ति के उपाय भी शामिल है।


संतान योग में भावों और ग्रहों की भूमिका 

जन्म कुंडली में 5th भाव बच्चों के लिए जिम्मेदार है। जब 5th भाव में विभिन्न ग्रह (सबसे महत्वपूर्ण, बृहस्पति और चंद्रमा) बैठे और 5th भाव के शासक या नियंत्रक ग्रह और 5th भाव के सत्तारूढ़ स्वामी का संतान योग पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। बच्चे के जन्म के योग बनाने वाले ग्रहों के मेल इस प्रकार हैं।

  1. पुत्र सहम जिस तरह मृत्‍यु सहम (मृत्यु का संकेत देने वाला ग्रह संयोग) या परदेश सहम (विदेश यात्रा योग) है, उसी तरह पुत्र सहम (संतान प्राप्ति के लिए ग्रह संयोग) है। बृहस्पति और चंद्रमा का मेल पुत्र सहम निर्धारित करता है। जब बृहस्पति पुत्र सहम को पार कर जाता है, तो यह संतान के लिए शुभ समय बनाता है।
  2. नर या पुरुषों के लिए बीज स्फुट (शुक्राणु) सूर्य, बृहस्पति और शुक्र के मेल से शुक्राणु की गतिशीलता और प्रजनन क्षमता पर सीधा प्रभाव पड़ता है। शुक्र ग्रह शुक्राणुओं को दर्शाता है। बृहस्पति वह कारक है जो बच्चों को दर्शाता है। और सूर्य वह कारक है जो पिता को दर्शाता है। ये सभी ग्रह, जब एक साथ मजबूत होते हैं, तो उच्च संतान योग के संकेत मिलते हैं।
  3. मादा या स्त्रीयों के लिए क्षेत्र स्फुट (अण्डे) एक “क्षेत्र” को बेहतर समझने के लिए एक अन्य शब्द “स्थान” है (जहाँ गर्भधारण होता है)। चाहे बीज स्फुट अत्यंत फल देने वाला या फर्टाइल हो, यदि क्षेत्र स्फुट क्षीण हो, तो कोई संतान नहीं होगी। यह मंगल, चंद्रमा और बृहस्पति का मेल है जो महिलाओं में संतान होने की संभावना के तरफ इशारा करता है।

याद रखने योग्य बातें

  1. अगर बीज स्फुट 9th भाव में हो, तो यह संतान हीन होने का एक मजबूत संकेत है।
  2. यदि क्षेत्र स्फुट 5th भाव में है, तो यह गर्भपात की उच्च संभावना का संकेत देता है।


गर्भधारण तिथि (गर्भाधान की तारीख) 

अब जब आप जानते हैं कि बच्चे के जन्म या किसी भी बच्चे के लिए कौन से ग्रहों के मेल जिम्मेदार हैं, संतान योग ज्योतिष में अगली बात जो आपको जानने की जरूरत है वह है गर्भधारण । स्वस्थ बच्चे के जन्म के लिए शुभ मुहूर्त (तिथियाँ) अलग-अलग हैं, जो इस प्रकार है :

  1. मासिक धर्म चक्र की भूमिका प्रसव ज्योतिष के अनुसार, एक चक्र की 4th या चौथी और 16th या सोलहवीं रात के बीच गर्भधारण करने से एक स्वस्थ बच्चे का जन्म होता है।
  2. बच्चे का लिंग मासिक धर्म चक्र की चौथी और सोलहवीं रात के बीच के षम रातों में गर्भधारण करने से लड़का का जन्म होता है और विषम रातों में गर्भधारण करने से लड़की का जन्म होता है।
  3. मजबूत गर्भधारण के लिए सबसे शुभ तिथियाँ 1, 2, 3, 5, 7, 10, 12 और 13 गर्भधारण के लिए भाग्यशाली तिथियाँ हैं। यह गर्भपात की संभावना को मिटा देता है।
  4. गर्भधारण के लिए सबसे शुभ नक्षत्र संतान योग ज्योतिष के अनुसार, सभी 7 निश्चित नक्षत्र (मृगशिरा, अनुराधा, हस्त, श्रवणम, धनिष्ठा, स्वाति और सताभिषा) गर्भधारण के लिए अत्यधिक शुभ हैं।
  5. वे दिन जो गर्भधारण के लिए अच्छे हैं बुधवार, गुरुवार या शुक्रवार को गर्भ में जिस बच्चे को धारण किया जाता है उसे बहुत भाग्यशाली माना जाता है।
  6. गर्भधारण के लिए शुभ लग्न गर्भधारण की संभावना को बढ़ाने वाले सभी शुभ ग्रह जन्म कुंडली में त्रिकोण या केंद्रों में होने चाहिए। और सभी अशुभ ग्रह 3rd, 6th या 11th भाव में होने चाहिए।

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5th भाव या हाउस (ज्योतिष में प्रसव के लिए घर/भाव) की भूमिका विस्तार रूप से 

5th भाव या हाउस में प्रश्न शास्त्र केवल प्रसव का संकेत नहीं देते है, बल्कि गर्भधारण की गारंटी देते है। 5th भाव में विभिन्न ग्रह संयोग जो बच्चे के जन्म को सुनिश्चित करते हैं, इस प्रकार हैं।

  1. 5th भाव के स्वामी और चंद्रमा के बीच संबंध।
  2. बृहस्पति और 5th भाव के सत्तारूढ़ ग्रह या 5th भाव के स्वामी के बीच संबंध।
  3. 5th या 11th भाव में एक लाभकारी ग्रह।
  4. प्रश्न लग्न में बुध का होना।
  5. मंगल, सूर्य, चंद्रमा और शुक्र, एक ही समय में एक दूसरे से संबंधित भावों में।
  6. चंद्रमा और लग्न भाव के स्वामी एकसाथ 5th भाव में बैठे हो।
  7. शीर्षोदय में 5th भाव के सत्तारूढ़ स्वामी का होना।
  8. 5th भाव में मजबूत शुक्र का होना।
  9. राहु चैत्र राशी में बैठे।
  10. अरुध लगन में राहु का बैठना ।


याद रखने योग्य बातें

  1. यदि किसी कारण से लग्न स्वामी अस्त है, तो नर संतान का जन्म किसी दोष के साथ होगा।
  2. यदि अरुध लग्न के स्वामी या सत्तारूढ़ स्वामी, अरुधा लग्न से 9 स्थान दूर हैं तथा अस्त भी है, तो किसी दोष के साथ एक लड़की का जन्म होता है।
  3. यदि चन्द्र या लग्नेश 3rd, 6th, 9th, 12th भाव में हो और इस कारण 5th भाव में इत्थशाला योग का निर्माण होता है, तो इसका अर्थ है कोई संतान नहीं होगी।


संतान योग ज्योतिष के अनुसार संतानहीनता या नो चाइल्ड के उपाय (Santan Yog Jyotish Ke Anusaar Santanhinta Ya No Child Ke Upaay)

ज्योतिष में सभी प्रकार के दोषों और समस्याओं का समाधान है जो ग्रहों के दुर्दशा का परिणाम हैं। और बच्चा नहीं होना इन समस्याओं से अलग नहीं है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, संतानहीनता या नो चाइल्ड या कम उम्र में बच्चों की बार-बार मृत्यु के लिए सबसे प्रभावी 2 उपाय नीचे बतायें गए हैं।

  1. मंगलवार के दिन शमशान (कब्रिस्तान) में एक मिट्टी के बर्तन में हनी या शहद भरकर दफना दे ।
  2. जब एक बच्चा एक नाजुक स्वास्थ्य के साथ पैदा होता है, तो मिठाई के बजाय नमक से बनी चीजें बाटें और बच्चे को पुराने कपड़े पहनायें।

Frequently Asked Questions

1. बच्चे के जन्म के लिए कौन सा ग्रह जिम्मेदार है?

बृहस्पति ग्रह (गुरु ग्रह) बच्चों का कारक है। दूसरे शब्दों में, बृहस्पति ग्रह वह है जो बच्चे के जन्म का संकेत देता है।

2. संतान योग ज्योतिष के अनुसार नर बच्चों (लड़का) के लिए कौन सा ग्रह जिम्मेदार है?

जन्म कुंडली में सूर्य और बृहस्पति की स्तिथि एक नर बच्चे (लड़का) के जन्म के लिए जिम्मेदार है।

3. प्रसव ज्योतिष के अनुसार कन्या के लिए कौन सा ग्रह जिम्मेदार है?

बुध ग्रह की स्थिति एक लड़की के जन्म को निर्धारित करती है।

4. कौन सा नक्षत्र बच्चे के जन्म के लिए सबसे शुभ है?

सभी 7 निश्चित नक्षत्र बच्चे के जन्म के लिए सबसे शुभ हैं। ये मृगशिरा, अनुराधा, हस्त, श्रवणम, धनिष्ठा, स्वाति, और सताभिषा नक्षत्र हैं।

5. संतान योग ज्योतिष के अनुसार कौन सा घर या भाव बच्चों के लिए जिम्मेदार है?

संतान योग ज्योतिष के अनुसार जन्म कुंडली में 5th भाव बच्चों के लिए जिम्मेदार है।

6. संतान योग ज्योतिष भविष्यवाणी के अनुसार कौन सी राशि सबसे अधिक फल देने वाली या फर्टाइल है?

सभी 12 राशियों में से कर्क राशि को सबसे अधिक फल देने वाली या फर्टाइल राशि मानी गयी है।

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