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कमलाकुच चूचुक कुंकमतोनियतारुणि तातुल नीलतनो ।कमलायत लोचन लोकपतेविजयीभव वेंकट शैलपते ॥
सचतुर्मुख षण्मुख पंचमुखेप्रमुखा खिलदैवत मौलिमणे ।शरणागत वत्सल सारनिधेपरिपालय मां वृष शैलपते ॥
अतिवेलतया तव दुर्विषहैरनु वेलकृतै रपराधशतैः ।भरितं त्वरितं वृष शैलपतेपरया कृपया परिपाहि हरे ॥
अधि वेंकट शैल मुदारमते-र्जनताभि मताधिक दानरतात् ।परदेवतया गदितानिगमैःकमलादयितान्न परंकलये ॥
कल वेणुर वावश गोपवधूशत कोटि वृतात्स्मर कोटि समात् ।प्रति पल्लविकाभि मतात्-सुखदात्वसुदेव सुतान्न परंकलये ॥
अभिराम गुणाकर दाशरधेजगदेक धनुर्थर धीरमते ।रघुनायक राम रमेश विभोवरदो भव देव दया जलधे ॥
अवनी तनया कमनीय करंरजनीकर चारु मुखांबुरुहम् ।रजनीचर राजत मोमि हिरंमहनीय महं रघुराममये ॥
सुमुखं सुहृदं सुलभं सुखदंस्वनुजं च सुकायम मोघशरम् ।अपहाय रघूद्वय मन्यमहंन कथंचन कंचन जातुभजे ॥
विना वेंकटेशं न नाथो न नाथःसदा वेंकटेशं स्मरामि स्मरामि ।हरे वेंकटेश प्रसीद प्रसीदप्रियं वेंकटॆश प्रयच्छ प्रयच्छ ॥
अहं दूरदस्ते पदां भोजयुग्मप्रणामेच्छया गत्य सेवां करोमि ।सकृत्सेवया नित्य सेवाफलं त्वंप्रयच्छ पयच्छ प्रभो वेंकटेश ॥
अज्ञानिना मया दोषा न शेषान्विहितान् हरे ।क्षमस्व त्वं क्षमस्व त्वं शेषशैल शिखामणे ॥