Sign In

क्या बताते हैं कुंडली के 12 भाव और जीवन में उनका महत्व | Vedic Astrology Me 12 Bhavo Aur Jivan Me Unka Significance

क्या बताते हैं कुंडली के 12 भाव और जीवन में उनका महत्व | Vedic Astrology Me 12 Bhavo Aur Jivan Me Unka Significance

Reading Time: 4 minutes
Article Rating
3.5/5

हिंदू संस्कृति में वेदों को जीवन और मृत्यु के अस्तित्व के पीछे और उससे आगे की संपूर्ण अवधारणा के बारे में ज्ञान का भंडार माना जाता है। जब तक व्यक्ति जीता है, जीवन का हर एक आयाम – व्यवहार, करियर, प्रेम जीवन, विवाह, और स्वास्थ्य – ग्रहों, सितारों, सूर्य और चंद्रमा का वैदिक ज्योतिष के अलग-अलग भावों में होने वाली गति और स्थान से तय होता है। वैदिक ज्योतिष के इन्हीं भावों के बारे में हम आज अपने गाइड में बात करने जा रहे हैं।

शुरुआत करने से पहले, क्योंकि वैदिक ज्योतिष (Vedic Jyotish) में 12 भाव हैं, लोग उन्हें 12 राशियों के साथ भ्रमित करते हैं। लेकिन, ये दोनों अलग-अलग हैं – राशि, भाव एक नहीं होते हैं।

तो, नैटल चार्ट (Natal Chart) के ये 12 भाव कौन से हैं? फिर, उन भावों और उनके महत्वो के बारे में विस्तृत रूप से यहाँ दिया गया है  (Vedic Astrology Me 12 Bhavo Aur Jivan Me Unka Significance)।

  1. वैदिक ज्योतिष में 1st या प्रथम भाव (Vedik Jyotish Me 1st Ya Prtham Bhav)

जन्म कुंडली में 1 या प्रथम भाव को लग्न (Lagan) कहते है। यह जन्म चार्ट (Birth Chart) में व्यक्तित्व को दर्शाता है।
यहाँ प्रथम भाव का अर्थ है

  • आप कैसे दिखते हैं – आपकी त्वचा, बालों और आंखों का रंग, आपकी नाक, मुहँ, होंठ, ठुड्डी और आपके शरीर का ढांचा।
  • आपकी सामान्य प्रकृति आक्रामकता और स्वभाव के बारे में है – यदि आप एक ऐसे व्यक्ति हैं, जो विनम्र या जो बहुत जल्दी और बहुत आसानी से ट्रिगर हो जाता है।
  • आपकी पूरी स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता।

यदि आपके जन्म कुंडली में पहला भाव पर्याप्त मजबूत नहीं है, तो आपको निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

  • किसी प्रकार की मानसिक बीमारी।
  • अवसाद और चिंता।
  • चेहरे पर अनियमितता जैसे मुंहासे, निशान और रंजकता (पिगमेंटेशन) ।
  1. वैदिक ज्योतिष में 2nd या दूसरा भाव (Vedik Jyotish Me 2nd Ya Dusara Bhav)

नैटल चार्ट में दूसरा घर धन भाव (Dhana Bhav) के रूप में भी जाना जाता है। यह आपके जीवन काल में आपके पास मौजूद भौतिक सामान के प्रकार और आपकी विशेषताओं के कुछ पहलुओं को नियंत्रित करता है।
यहाँ इस भाव का अर्थ है

  • यदि आपके द्वितीय भाव में शुक्र ग्रह है, तो आपको एक सुंदर आवाज का आशीर्वाद मिला है।
  • यह भाव तय करेगा कि आप धन, निवेश, संपत्ति और वाहन के मामले में अमीर या गरीब होंगे।

यदि आपके जन्म कुंडली में दूसरा भाव कमजोर है, तो आपको निम्नलिखित तरीकों से नुकसान होगा।

  • आपको पैसे मिलेंगे लेकिन आप उस पर पकड़ नहीं बना पाएंगे या उसे सही तरीके से निवेश नहीं कर पाएंगे।
  • आप वित्त के मामले में बहुत संघर्ष करेंगे। दूसरे शब्दों में, आपके पास वित्तीय स्थिरता नहीं हो सकती है।

     

  1. वैदिक ज्योतिष में 3rd या तीसरा भाव (Vedik Jyotish Me 3rd Ya Tisara Bhav)

वैदिक ज्योतिष में सभी भावों में से, यह तीसरा  भाव है जो किसी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को नियंत्रित करता है।

यहाँ इस भाव का अर्थ है

  • आपका बात करने की कला।
  • आप अपने जीवन में लोगों का कितने अच्छे से साथ देंगे।

यदि आपकी जन्म कुंडली में तीसरा भाव कमजोर है, तो आपको निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।

  • स्वास्थ्य के लिहाज से – अवसाद, तनाव, कंधे का दर्द ,गर्दन का दर्द और सांस की बीमारियाँ।
  • तंत्रिका संबंधी विकार जो यादों को नियंत्रित करते हैं।

     

  1. वैदिक ज्योतिष में 4th या चौथा भाव (Vedik Jyotish Me 4th Ya Chturth Bhav)

इस भाव को बंधु भाव (Bandhu Bahv) के रूप में भी जाना जाता है, 4th  या चौथा भाव साहचर्य और शांति का प्रतीक है।

यहाँ इस भाव का अर्थ है

  • घरेलू खुशी।
  • अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियों के साथ संबंध।
  • आपके पास सामान – अचल संपत्ति और वाहन

यदि ये भाव कमजोर है, तो यह निम्न स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है।

  • पेट और फेफड़ों के विकार।
  • गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं।

     

  1. वैदिक ज्योतिष में 5th या पंचम भाव (Vedik Jyotish Me 5th Ya Pancham Bhav)

जन्म कुंडली में 5th  या पंचम भाव, जिसे पुत्र भाव (Putra Bhav) के रूप में भी जाना जाता है, यह अंतर्ज्ञान और रचनात्मकता का भगवान है।

यहाँ इस भाव का अर्थ है

  • आपका रोमांटिक जीवन।
  • आप कितने खुश और विनोदी हैं।
  • आप जीवन में किस तरह की ऊर्जा का संचार करेंगे।

यदि ये भाव कमजोर है, तो पंचम भाव निम्न स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।

  • दिल की समस्या।
  • रीढ़ की समस्याएं।

यह भी पढ़े – राहु के उपाय – राहु महादशा के नकारात्मक प्रभाव को कम कैसे करे?

  1. वैदिक ज्योतिष में 6th या छठा भाव (Vedik Jyotish Me 6th Ya Chhtha Bhav)

जन्म कुंडली में 6th या छठा भाव अरि भाव (Ari Bhav) के नाम से जाना जाता है, जिसमें अरि का मतलब है वैसी बाधाएं जिसका आप अपने जीवन में सामना करने वाले हैं।

यदि राहू 6th या छठा भाव में बैठा हो, तो व्यक्ति अजेय हो जाता है और जीवन के सभी क्षेत्रों में जीत हाशिल करता है – चाहे वह प्यार, पैसा, या शक्ति हो।

 

  1. वैदिक ज्योतिष में 7th या सप्तम भाव (Vedik Jyotish Me 7th Ya Saptam Bhav)

वैदिक ज्योतिष में 7th या सप्तम भाव युवती भाव (Yuvati Bhava) के नाम से भी जाना जाता है।

यहाँ इस भाव का अर्थ है

  • आपके जीवन में संबंध – अपने पति / पत्नी के साथ, अपने सहकर्मियों के साथ, अपने माता-पिता और भाई-बहनों के साथ।
  • यह वह भाव है जो आपके व्यावसायिक संबंधों को भी नियंत्रित करता है।

     

  1. वैदिक ज्योतिष में 8th या अष्टम भाव (Vedik Jyotish Me 8th Ya Ashtam Bhav)

8th या अष्टम  भाव को रंध्रा भाव (Randhra Bhava) के भी नाम से जाना जाता है, ये जीवन के सभी प्रकार की अप्रत्याशित स्थितियों को नियंत्रित करता है।

यहाँ इस भाव का अर्थ है

  • यह मृत्यु को नियंत्रित करता है।
  • यह धन को नियंत्रित करता है।

जब शनि इस घर में प्रवेश करता है, तो यह शुभ घटनाओं को जन्म देता है जैसे कि पैतृक संपत्ति प्राप्त करना।

इसके अलावा, यदि आपके जन्म कुंडली में यह भाव मजबूत है, तो आप एक लॉटरी भी जीत सकते हैं।

 

  1. वैदिक ज्योतिष में 9th या नवम भाव (Vedik Jyotish Me 9th Ya Navam Bhav)

यह अंतर्ज्ञान और उच्च आध्यात्मिकता का भाव है। जब बृहस्पति इस भाव में बैठता है, तो व्यक्ति को भाग्य का साथ मिलता है।

जिनका 9th या नवम भाव मजबूत है, उनके लिए ख़ुशी की बात है:

  • बहुत यात्रा करना।
  • उच्च शिक्षा।
  • परोपकार करने से जो सुख मिलता है।

     

  1. वैदिक ज्योतिष में 10th या दसम भाव (Vedik Jyotish Me 10th Ya Dasam Bhav)

10th या दसम भाव  प्रतिष्ठा और पेशे का भाव है। ये कर्म भाव (Karma Bhava) के रूप में भी जाना जाता है। 

यहाँ इस भाव का अर्थ है

  • आपका पेशा और आप कितना अच्छा काम करने जा रहे हैं।
  • आपकी सामाजिक स्थिति।

यदि कमजोर है, तो यह घर आपको घुटनों, हड्डियों और जोड़ों से संबंधित स्वास्थ्य समस्याएं देगा।

 

  1. ज्योतिष में 11th या एकादश भाव (Vedik Jyotish Me 11th Ya Ekadash Bhav)

सब अच्छी चीजे 11th या एकादश भाव द्वारा ही संचालित होता है, जिसे लाभ भाव (Labha Bhava) के रूप में भी जाना जाता है।

लाभ भाव से जुड़ी बातें:

  • पैसा, नाम, और प्रसिद्धि।
  • धन और भाग्य।
  • दोस्तों और बड़े भाई के साथ रिश्ता।

     

  1. वैदिक ज्योतिष में 12th या द्वादश भाव (Vedik Jyotish Me 12th Ya Dwadash Bhav)

शुरुवात और अंत का भाव – जिसे अचेतन के घर के रूप में भी जाना जाता है – यह 12th या द्वादश भाव है जो सांसारिक सुख के अलगाव की भावना को नियंत्रित करता है। ये अलगाव मृत्यु या उच्च आध्यात्मिक शिक्षा के रूप का परिणाम भी हो सकता है।

अंत में, हमेशा याद रखें, वैदिक ज्योतिष में 12 भावों में ग्रहों की गति (12 Bhavo Me Graho Ki Gati) , प्रवेश और निकास के साथ जीवन में आने वाली प्रसिद्धि, सफलता और खुशियाँ और असफलताएँ आपको बदल देती हैं।

Check out the English Translation of this Article
The value of 12 Houses in Vedic Astrology