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शिव जी को अति प्रिय है यह  वरदान रूपी ब्रह्मकमल का पुष्प | (Brahma Kamal Phool)

शिव जी को अति प्रिय है यह वरदान रूपी ब्रह्मकमल का पुष्प | (Brahma Kamal Phool)

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हिमालय पर्वत पर पाई जाने वाली यह दिव्य पुष्प, सिर्फ हिमालय की शोभा ही नहीं बढ़ाती बल्कि खुद में बहुत सारे पौराणिक कथाएं तथा गुण छिपाये हुए है। यह पुष्प भगवान शिव को अति प्रिय है।

ब्रह्मकमल सिर्फ भगवान शिव का ही प्रिय नहीं बल्कि ये  भगवान ब्रह्मा का भी अति प्रिय है। कहते है भगवान शिव को यह पुष्प अर्पित करने से, भगवान शिव प्रसन्न होते है और हमारी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करते है, इसके साथ ही भगवान शिव का इस पुष्प के द्वारा किये गए पूजा से ब्रह्म देव भी प्रसन्न होते है और हमे बुद्धि और विवेक का आशीर्वाद देते है। हमारे वेदो और पुराणों में भी आपको इस पुष्प का वर्णन मिल जायेगा।  पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ब्रह्मकमल को केदारनाथ स्थित भगवान शिव को अर्पित करने के बाद प्रसाद रूप में सभी को बाँट दिया जाता है।  

                    ब्रह्मकमल अथवा कौल पद्म, भारत के “देवभूमि” अर्थात उत्तराखंड  में पाया जाता है।  उत्तराखंड में इस पुष्प के करीब 24  प्रजातियां पाई जाती है जबकि संपूर्ण विश्व में कुल मिलाकर 210  प्रजातियां पाई जाती है।  उत्तराखंड के अलावा यह पुष्प केदारनाथ के पिंडारी ग्लेशियर, कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश तथा सिक्किम में भी पाया जाता है ।


ब्रह्मकमल
के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां

इसकी उचाई 70 से 80 सेंटीमीटर तक होती है। इस पुष्प का वानस्पतिक नाम ‘निक्टेन्थिस आर्बोर्ट्रिस्टिस'” एपीथायलम ओक्सीपेटालम ” है ।  बैगनी रंग का  ब्रह्मकमल का पुष्प जब खिलता है तो वह पिले पत्तियों में से निकले कमल पात के पुष्पगुच्छ के रूप में खिलता है । उत्तराखंड में ब्रह्मकमल को कौल पद्म के नाम से भी जाना जाता है , तथा हिमाचल प्रदेश में इसे दूधाफूल, कश्मीर में गलगल तथा उत्तर-पश्चिमी भारत में इसे बरगनडटोगेस के नाम से भी जाना जाता है।  ब्रह्मकमल का पुष्प मात्र तीन महीने जुलाई से सितम्बर तक ही खिलते है। इन तीन महीनो तक इन पुष्पों के खिलने के कारण आस-पास की वादियां सुगंध से महक उठते है।

ब्रह्मकमल से जुडी पौराणिक कथाएं

ब्रह्मकमल का उल्लेख हमे हमारे वेदो और पुराणों में मिल जायेंगे।इस पुष्प को ब्रह्म देव का प्रतीक भी माना जाता है । तथा खिले हुए ब्रह्मकमल भगवान विष्णु की शैय्या जैसे दीखते है । इस पुष्प से जुडी दो पौराणिक कथाएं आज हम आपको बताएंगे:

ब्रह्मकमल से जुडी पहली कथा : पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान विष्णु से बड़ा भक्त भगवान शिव का इस संसार में कोई भी नहीं है। एकबार भगवान विष्णु ने , भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए घोर तप किया और उसके पश्चात यज्ञ का आयोजन किया, जिसमे भगवान विष्णु ने 1008 ब्रह्मकमलों को भगवान शिव को चढ़ाने की मंशा रखी , परन्तु ब्रह्मकमल अर्पित करते समय भगवान विष्णु ने यह पाया की ब्रह्मकमल की संख्या 1007 ही है, अपने यज्ञ और तप को पूर्ण करने के लिए भगवान विष्णु ने आखिरी ब्रह्मकमल के रूप में अपने एक नयन को भगवान शिव को अर्पित कर दिया, इसे देख भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्होंने भगवान  विष्णु को “कमलनयन” का नाम दिया ।

ब्रह्मकमल से जुडी दूसरी कथा : यह कथा महाभारत से जुडी है तथा महाभारत के वनपर्व में इसे “सौगन्धिक  पुष्प” के नाम की संज्ञा दी गई है। एकबार की बात है, ब्रह्मकमल की सुगंध पाकर द्रौपदी व्याकुल हो उठी।  ब्रह्मकमल को पाने की इच्छा से द्रौपदी ने भीम से निवेदन किया । द्रौपदी की बात सुनकर भीम बद्रिकाश्रम पहुंचे, लेकिन बद्रिकाश्रम पहुंचने से 3 किलोमीटर पहले ही, हनुमान चट्टी नामक स्थल पर हनुमान जी ने रास्ते में अपनी पूंछ फैलाकर भीम को आगे बढ़ने से रोक दिया, और भीम हनुमान जी की पूंछ उठाने में असमर्थ रहे, जिससे की भीम का गर्व चूर-चूर हो गया।  इसके पश्चात भीम ने हनुमान जी से निवेदन किया और उनकी आज्ञा पाकर ही बद्रिकाश्रम से ब्रह्मकमल को लेकर गए।

 

ये तो हुई पौराणिक कथाएं, परन्तु ब्रह्मकमल में बहुत सारे औषधीय गुण भी है, जिसे निचे निम्नलिखित तरह से बताएं गए है :

  1. इस पुष्प से टपकने वाले जल की बूंदो को “अमृत जल” के नाम की संज्ञा दी गई है। इसे पीने से शरीर में ऊर्जा की बढ़ौतरी होती है और थकान मिट जाती है। 
  2. यह पुरानी खांसी अथवा काली खांसी में भी राहत प्रदान करता है।
  3. जौ के आटे में ब्रह्मकमल के पुष्प को मिलाकर जानवरो को पिलाने से उनकी मूत्र सम्बंधित बीमारी समाप्त हो जाती है ।
  4. ब्रह्मकमल के पुष्प को गर्मकपड़ों में लपेट कर रखने से यह कपड़ो में कीड़े नहीं लगने देता।
  5. इसके पुष्प का उपयोग हड्डियों के दर्द तथा सर्दी जुकाम में किया जाता है।
  6. इस पुष्प को सुखाकर कैंसर की दवा तैयार की जाती है।
  7. इसके राइजोम में एंटीसेप्टिक गुण होता है जो कट और जल जाने पर उपयोग में लाया जाता है ।