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धनिष्ठा नक्षत्र : धनिष्ठा नक्षत्र में जन्मे लोग तथा पुरुष और स्त्री जातक (Dhanishta Nakshatra : Dhanishta Nakshatra Me Janme Log Tatha Purush Aur Stri Jatak)

धनिष्ठा नक्षत्र : धनिष्ठा नक्षत्र में जन्मे लोग तथा पुरुष और स्त्री जातक (Dhanishta Nakshatra : Dhanishta Nakshatra Me Janme Log Tatha Purush Aur Stri Jatak)

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वैदिक ज्योतिष में कुल “27 नक्षत्र है जिनमें से एक है “धनिष्ठा नक्षत्र” (Dhanishta Nakshatra)। यह आकाश मंडल तथा 27 नक्षत्रों में 23वें स्थान पर है। इस नक्षत्र का विस्तार राशि चक्र में “29320” से लेकर “30640” अंश तक है। धनिष्ठा नक्षत्र में 114 तारें होते है। यह धन और वैभव दर्शाता है। आज हम आपको धनिष्ठा नक्षत्र में जन्में लोग तथा पुरुष और स्त्री जातक की कुछ मुख्य विशेषताएं बतलायेंगे, पर सबसे पहले जानते है, धनिष्ठा नक्षत्र से जुड़ी कुछ जरुरी बातें :

धनिष्ठा  नक्षत्र का दूसरा नाम “श्रविष्ठा है। धनिष्ठा का शाब्दिक अर्थ है “धनी“। धनिष्ठा “चंद्र देव” की 27 पत्नियों में से एक है तथा ये प्रजापति दक्ष की पुत्री है। शास्त्रानुसार, धनिष्ठा या श्रविष्ठा का एक अर्थ यह भी है कि यह “प्रसिद्ध” है।

धनिष्ठा नक्षत्र से जुड़े अन्य जरुरी तथ्य :

  • नक्षत्र – “धनिष्ठा”
  • धनिष्ठा नक्षत्र देवता – “वसु”
  • धनिष्ठा नक्षत्र स्वामी – “मंगल”
  • धनिष्ठा राशि स्वामी – “शनि”
  • धनिष्ठा नक्षत्र राशि – “मकर-2, कुम्भ-2”
  • धनिष्ठा नक्षत्र नाड़ी – “मध्य”
  • धनिष्ठा नक्षत्र योनि – “सिंह”
  • धनिष्ठा नक्षत्र वश्य – “जलचर-2, नर-2”
  • धनिष्ठा नक्षत्र स्वभाव – “चर”
  • धनिष्ठा नक्षत्र महावैर – “गज”
  • धनिष्ठा नक्षत्र गण – “राक्षस”
  • धनिष्ठा नक्षत्र तत्व – “पृथ्वी-2, वायु-2”
  • धनिष्ठा नक्षत्र पंचशला वेध – “विशाखा”

धनिष्ठा नक्षत्र जातक राजा या राजकीय लोगो से सहायता व सम्मान प्राप्त करता है , सामान्यत: सुगम सफल जीवन जीने वाला, शत्रु-रहित, तारो में रुचि रखने वाला होता है. इन्हें “तारा विज्ञान”, “ज्योतिष”, “खगोल” का सहज आकर्षण होता है। – पराशर

धनिष्ठा नक्षत्र का वेद मंत्र :

।।ॐ वसो:पवित्रमसि शतधारंवसो: पवित्रमसि सहत्रधारम ।
देवस्त्वासविता पुनातुवसो: पवित्रेणशतधारेण सुप्वाकामधुक्ष: ।
ॐ वसुभ्यो नम:।।।

धनिष्ठा नक्षत्र में चार चरणें होती है। जो इस प्रकार है :

1. धनिष्ठा नक्षत्र प्रथम चरण : धनिष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण के स्वामी “सूर्य देव” है तथा इस चरण पर मंगल, शनि और सूर्य का प्रभाव ज्यादा रहता है। इस चरण के जातक का सुन्दर नाक, गंभीर नेत्र, बड़ा शरीर, रूखे नख होते है। इस चरण के जातक व्यापारी, महा विद्वान, और स्वास्थ्य से परेशान होते है। ज्योतिष की दृष्टि में यह सबसे आक्रमक चरण होता है। 

2. धनिष्ठा नक्षत्र द्वितीय चरण : धनिष्ठा नक्षत्र के द्वितीय चरण के स्वामी ‘‘बुध देव है। इस चरण पर मंगल, बुध तथा शनि ग्रह का प्रभाव होता है। इनमें शक्ति, संचार, ग्रहण या प्रचलन की भावना प्रबल होती है। इस चरण के जातक का गोल चेहरा, बड़ा नेत्र और तेज बुद्धि वाला होता है। इस चरण के जातक चालाक, आत्मनिर्भर और हर प्रतियोगिता में भाग लेने वाले होते है। ये गीत संगीत में रुचि रखने वाला तथा उच्च पद प्राप्त करने वाला होता है।

3. धनिष्ठा नक्षत्र तृतीय चरण : इस चरण के स्वामी “शुक्र ग्रह” है। इस चरण पर मंगल, शनि तथा शुक्र का प्रभाव होता है। इस चरण के जातक आशावादी, तेज बुद्धि, शत्रु को हराने वाला और सुखी दाम्पत्य जीवन जीने वाला होता है। इस चरण के जातक पतले दुबले शरीर वाले, सांवले रंग के होते है। ये ज्यादातर स्वयं के उद्योग से धन हासिल करते है।

4. धनिष्ठा नक्षत्र चतुर्थ चरण : इस चरण के स्वामी “मंगल ग्रह” है। इस चरण पर मंगल और शनि ग्रह का प्रभाव होता है। इस चरण के जातक भावुक, साधु स्वभाव, निडर, आश्रयदाता और मुर्ख होता है। ये अत्यंत आक्रामक होते है। इनका खुद का व्यवसाय होता है जिसमें शुरुआत में कुछ समस्याएं आती है पर अंत में इन्हें लाभ प्राप्त होता है। ये सुखी दाम्पत्य जीवन जीने वाले होते है।

आइये जानते है, धनिष्ठा नक्षत्र के पुरुष और स्त्री जातकों के बारे में :

धनिष्ठा नक्षत्र के पुरुष जातक :

इस लग्न के जातक दुबले पतले शरीर के होते है। ये अत्यंत बुद्धिमान, हर प्रकार के ज्ञान से युक्त, हर कार्य का विशेषज्ञ होते है। ये धर्मात्मा स्वभाव के होते है अर्थात मन – वचन और कर्म से किसी को भी दुख नहीं पहुंचाते। ये ज्यादातर इतिहासकार और वैज्ञानिक होते है। ये स्वभाव से गोपनीय भी होते है और अपने मन की बात किस को भी नहीं बताते। इनका भाग्योदय 24वें वर्ष में होता है।  इन्हें व्यापार के कारण दूसरों पर भरोसा करना पड़ता है जो इनके लिए ठीक नहीं है। इन्हें सतर्कता अपनाने की जरूरत है। इनके रिश्तेदार इनके लिए अवरोधक होते है। इन्हें इनके भाई बहन से लगाव ज्यादा होता है। इनकी पत्नी इनके लिए भाग्यशाली होती है और विवाह के बाद ही ये ज्यादा धन अर्जित कर पाते है।

धनिष्ठा नक्षत्र के स्त्री जातक :

धनिष्ठा नक्षत्र की स्त्री जातक के सारे गुण – दोष इस नक्षत्र के पुरुष जातक के समान ही होते है। ये अत्यंत सुन्दर होती है और 40 के उम्र में भी 16 वर्ष की दिखती है। ये अभिलाषी, पक्षपात हीन, लज्जालु, आडम्बर हीन, दूसरों से सहानुभूति रखने वाली होती है। श्रवण नक्षत्र वाली लड़कीओ की तरह ये भी परिवार पर शासन करने वाली होती है जिससे इन्हें बचना चाहिए।  ये विज्ञान और साहित्य में रूचि रखती है और ये गृहकार्य में दक्ष होती है।

Frequently Asked Questions

1. धनिष्ठा नक्षत्र के देवता कौन है?

धनिष्ठा नक्षत्र के देवता – वसु है।

2. धनिष्ठा नक्षत्र का स्वामी ग्रह कौन है?

धनिष्ठा नक्षत्र का स्वामी ग्रह – मंगल है।

3. धनिष्ठा नक्षत्र के लोगों का भाग्योदय कब होता है?

धनिष्ठा नक्षत्र के लोगों का भाग्योदय – 24 वें वर्ष में होता है।

4. धनिष्ठा नक्षत्र की शुभ दिशा कौन सी है?

धनिष्ठा नक्षत्र की शुभ दिशा – पूर्व है।

5. धनिष्ठा नक्षत्र का कौन सा गण है?

धनिष्ठा नक्षत्र का राक्षस गण है।

6. धनिष्ठा नक्षत्र की योनि क्या है?

धनिष्ठा नक्षत्र की योनि – गज है।

7. धनिष्ठा नक्षत्र की वश्य क्या है?

धनिष्ठा नक्षत्र की वश्य – जलचर-2, नर-2” है।