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करवा चौथ का व्रत और करवा चौथ कथा | karva chauth katha in Hindi | Free PDF Download

करवा चौथ का व्रत और करवा चौथ कथा | karva chauth katha in Hindi | Free PDF Download

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प्रत्येक भारतीय हिन्दू विवाहित नारी के जीवन में करवा चौथ का अपना अलग ही महत्व है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार करवा चौथ का  व्रत करने से पति की आयु बढ़ जाती है तथा हर संकट टल जाती है। हिन्दू धर्म के अनुसार जब भी किसी बहु का करवा चौथ रहता है तो उसकी सास उसे बहुत सारी सामग्री या करवा या सरघी भेंट देती है। हमारे देश में करवा चौथ व्रत बहुत धूम-धाम से मनाई जाती है और इस साल 24th October 2021 को करवा चौथ व्रत 2021 पड़ा है। तो, आइये जानते है चतुर्थी तिथि के अनुसार व्रत का समय:

 

चतुर्थी तिथि शुरू – 03:01 AM on Oct 24, 2021

चतुर्थी तिथि समाप्त- 05:43 AM on Oct 25, 2021

 

पर, करवा चौथ व्रत को करने के साथ-साथ इस व्रत की कथा को पढ़ना तथा सुनना भी बहुत ही जरुरी है। तो, आइये जानते है करवा चौथ कथा इन हिंदी:

 

यह कहानी बहुत समय पहले की है, किसी गांव में एक साहूकार रहता था जिसके सात पुत्र तथा एक पुत्री “करवा” थी। साहूकार के सातों पुत्र अपनी बहन करवा से बहुत ही ज्यादा प्रेम करते थे। सातों भाई करवा के भोजन करने के पहले कुछ भी नहीं खाते-पीते जितना संभव हो सकता एक साथ ही भोजन किया करते थे। देखते ही देखते समय बिता और “करवा” का विवाह हो गया और करवा अपने ससुराल चली गई, कुछ समय बाद करवा विवाह के बाद अपने मायके आई, सातों भाई बहुत प्रसन्न हुए। सातों भाई दिन भर के काम के बाद अपना व्यापार बंद कर के शाम को घर लौटे, उन्होंने देखा की करवा बिलकुल चुप-चाप व्याकुल हुई बैठी है। सातों भाइयों ने करवा को अपने साथ में भोजन करने को कहा पर करवा ने कह दिया कि आज उसका करवा चौथ का व्रत है, तो वो शाम को चंद्र देव के दर्शन कर के और उन्हें अर्घ्‍य देने के बाद ही भोजन कर सकती है।               

सबसे छोटे भाई से बहन करवा की यह स्तिथि देखि नहीं जा रही थी, तो उसने दूर एक पीपल के पेड़ के पास एक दिया जलाकर चलनी के ओट में दिए को रख दिया, दूर से देखने पर वह बिल्कुल चतुर्थी के चन्द्रमा जैसा दिख रहा था। ये सब करने के बाद भाई ने करवा से कहा कि अब चाँद आसमान में निकल गया है, अब तो पूजा कर के भोजन कर लो।  भाई की बात सुनकर करवा बहुत प्रसन्न हो गई और सीढ़ियों पर चढ़कर चाँद को अर्घ्‍य देने के बाद अपने भाइयों के साथ भोजन करने बैठ जाती है।   

करवा जब पहला टुकड़ा खाने का उठाती है तो उसे बहुत जोरो से छींक आ जाती है, जैसे ही दूसरे टुकड़े को उठाती है तो दूसरे टुकड़े में बाल निकल जाता है और जैसे ही करवा तीसरे टुकड़े को उठती है तो उसे उसके पति के मरने की खबर मिलती है, वह चिल्ला उठती है।  करवा की भाभी करवा को सबकुछ सच-सच बता देती है कि उसका व्रत सही तरीके से पूरा न हो सका और इस कारण करवा से देवता नाराज हो गए और तभी उन्होंने करवा के साथ ऐसा किया है। 

सच जानने के बाद करवा यह प्रण लेती है कि वो अपने पति का दाह संस्कार नहीं होने देगी और अपने सतीत्व के द्वारा अपने पति को पुनर्जीवित कर वापस लौटा लाएगी। करवा पुरे एक वर्ष तक अपने पति के शव की देखभाल करती रही और सारा दिन शव के पास ही बैठी रहती थी। जब भी शव पर घास उगते तो करवा शव पर उगने वाले सुईनुमा घासों को जमा करती जाती थी। एक साल बीत जाने के बाद फिर से करवा चौथ का व्रत आ जाता है और करवा की भाभियाँ फिर से करवा चौथ का व्रत रखतीं है।  करवा चौथ के दिन सभी भाभियाँ उपवास रखती है और पूजा पाठ करके करवा से आशीर्बाद लेने के लिए करवा के पास आती है तो करवा हर एक भाभी से कहती है “यम सुई ले लो, पिय सुई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो” और अपने पति को जीवित करने का निवेदन करती है। लेकिन सभी भाभी ही करवा को किसी दूसरी भाभी के पास निवेदन करने को भेज देती है। जब छठवीं भाभी से करवा निवेदन करती है की उसके पति को जीवित कर दो, तो  छठवीं  भाभी कह देती है कि तुम्हारा व्रत सबसे छोटे भाई के कारण टूटा इसी वजह से तुम्हारे पति की जान गयी, इसलिए तुम अपना निवेदन लेकर सातवीं भाभी के पास जाओ सिर्फ वही तुम्हारे पति को जिन्दा कर सकती है, जब भी सातवीं भाभी आये तुम उसे पकड़ लेना और वो जब तक तुम्हारे पति को जीवित न कर दे तुम उसे छोड़ना ही मत और ऐसा कह कर छठवीं भाभी चली जाती है। 

आखिर अंत में सातवीं भाभी करवा के पास आशिर्बाद लेने आ ही गई, करवा सातवीं भाभी से सुहागिन बनने के लिए निवेदन करती है पर सातवीं भाभी टाल देती है। इसके बाद करवा सातवीं भाभी को कसकर पकड़ लेती है और अपने पति को जीवित करने के लिए जिद करने लगती है, अंत में सातवीं भाबी का मन करवा की हालत देखकर पसीज जाता है और सातवीं भाभी अपनी छोटी ऊँगली को चीर देती है उसमे से अमृत निकलता है, जिसे करवा के पति के मुँह में डाल देती है और करवा का पति श्री गणेश कहते हुए जीवित हो उठता है। और इस तरह से सातवीं भाभी की मदद से करवा को अपना सुहाग वापस मिल जाता है। 

Frequently Asked Questions

1. क्या करवा चौथ के व्रत में पानी पीया जा सकता है?

नहीं, करवा चौथ का व्रत निर्जला ही रखा जाता है। 

2. करवा चौथ व्रत में लड़की को करवा कौन देता है?

करवा चौथ के व्रत में लड़की को करवा उसकी सास देती है। 

3. क्या करवा चौथ का व्रत कुवारी लड़कियां कर सकती है?

जी हाँ, करवा चौथ का व्रत कुवारी लड़कियां भी कर सकती है। 

4. क्या करवा चौथ का व्रत मासिक धर्म या पीरियड्स में कर सकते है?

जी हाँ, करवा चौथ का व्रत पीरियड्स में भी कर सकती है, पर पूजा करने की मनाही है। आप सिर्फ उपवास करे।