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NAGKESAR: जाने क्या है नागकेसर और इसके चमत्कारिक फायदे

NAGKESAR: जाने क्या है नागकेसर और इसके चमत्कारिक फायदे

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नागकेसर एक सदाबहार सजावटी पेड़ है जो पूरे एशिया में पाया जाता है। नागकेसर का उपयोग कई भागों में अपने स्वास्थ्य लाभ के लिए किया जाता है, या तो अकेले या अन्य चिकित्सीय जड़ी बूटियों के संयोजन में। नागकेसर फेफड़ों से अतिरिक्त बलगम को हटाकर सर्दी और खांसी के लक्षणों को दूर करने में मदद करता है। यह अस्थमा के कुछ लक्षणों को कम करने में भी मदद करता है।

नागकेसर के समानार्थी शब्द कौन कौन से है ?

मेसुआ फेरिया, कोबरा केसर, सीलोन आयरनवुड, इंडियन रोज चेस्टनट, मेसुआ, नागकेसरा, पिला नागकेसरा, केसरा, नागपुस्पा, नागा, हेमा, गजकेसरा, नेगेश्वर, नाहर, नागेश्वर, नागेसर, सचुनागकेशरा, नागचम्पा, तामरानागकेसर, नंगा, नौगा, पेरी, वेलुथापाला, नागप्पु, नागप्पोवु, नागेश्वर, नौगु, नौगलीराल, नागचम्पकम, सिरुनगप्पु, नागचम्पकमु, नर्मुष्क

नागकेसर के चमत्कारिक उपाय क्या है

  • समृद्धि कारक-पीले कपड़े में नाग केशर, हल्दी, सुपारी, ताॅबे का एक सिक्का व चावल लेकर फिर धूप-दीप से पूजन करके शिव के सम्मुख रखकर यदि गल्ले या दुकान में रखेगें तो समृद्धि आयेगी।
  • ओज वृद्धि-नागकेशर, चमेली के पुष्प, अगर, तगर, कुमकुम व घी का लेप बनाकर मस्तक पर लगाने से व्यक्ति तेजवान बनता है।

व्यक्तित्व की तरफ आकर्षित होने के लिए

  • आकर्षण करने हेतु-रविपुष्य योग में या किसी शुभ तिथि में नागकेशर, चमेली के फूल, कूट, तगर, कुमकुम, गाय का घी इन्हें घोटकर तिलक करने से लोग आपके व्यक्तित्व की तरफ आकर्षित होंगे।
  • गर्भवती-पीपल, सोंठ, कालीमिर्च और नागकेसर इन सभी को बराबर मात्रा में पीसकर छान लें उसके बाद इसमें घी मिलाकर 7 दिन तक लगातार खाने से बाॅझ स्त्री को भी स्त्री भी गर्भवती हो जाती है।

गर्भ ठहरने में मदद करता है नागकेसर

  • नागकेसर और सुपारी का चूर्ण सेंवन करने से भी गर्भ ठहर जाता है।
  • पुत्रजीव वृक्ष की जड़ को दूध में पीसकर पीने सु पुत्र दीर्घायु होता है।
  • पुत्रजीव वृक्ष की जड़ और देवदारू इन दोनों को दूध में पीसकर पीने से पुत्र अवश्य होता है।
  • माशे नागकेशर, गाय के दूध के साथ 7 दिन तक पीने से बाॅझ स्त्री को भी पुत्र की प्राप्ति होती है।

धन प्राप्ति के लिए

  • जिस पूर्णिमा को सोमवार हो, उस दिन नागकेशर के फूल लेकर शिवलिंग पर पाॅच
  • बेलपत्र के साथ चढ़ायें व चढ़ाने से पूर्व शिवलिंग को कच्चे दूध, दही, घी, शक्कर, गंगाजल, से धोकर पवित्र कर लें। बेलपत्र व नागकेशर की संख्या बराबर होनी चाहिए। ये नित्य प्रति अगली पूर्णिमा तक चढ़ाते रहें। अंतिम दिन चढ़ाये गये फूल व बेलपत्र में से एक पुष्प अपने साथ लाकर घर, दुकान या आॅफिस में लाकर रखें। ऐसा करने से धीमे-धीमे धन की स्थिति मजबूत होने लगती है।

वास्तुदोष को दूर करने में मदद करता है

  • वास्तु दोष-भवन के वास्तुदोष को दूर करने के लिए नागकेसर की लकड़ी से हवन करने से वास्तुदोष का शमन होता है।
  • खूनी बवासीर-नागकेसर के चूर्ण मिश्री या मखक्कन के साथ मिलाकर खाने से खूनी बवासीर में लाभ मिलता है।