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नागकेसर  क्या है और नागकेसर के फायदे (Nagkesar Kya Hai Aur Nagkesar Ke Fayde)

नागकेसर क्या है और नागकेसर के फायदे (Nagkesar Kya Hai Aur Nagkesar Ke Fayde)

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नागकेसर का पौधा (Nagkesar Ka Paudha) एक प्रकार की जड़ी बूटी है जिसका प्रयोग कई तरह के बीमारियों को दूर करने में किया जाता है। आयुर्वेद में नागकेसर के प्रमुख गुणों के बारे में विस्तार से बताई गई है। नागकेसर के पौधे के फल (nagkesar flower), फूल बीज आदि सभी हिस्सों का प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता है। इस लेख में हम आपको नागकेसर क्या है और नागकेसर के फायदे के बारे में बताने वाले है। तो, चलिए शुरू करते है :

नागकेसर क्या है ? (Nagkesar Kya Hai In Hindi?)

इसकी पत्तियां लाल रंग की होती हैं और उनका अगला हिस्सा थोड़ा चमकीला और हरे रंग का होता है। इसके फूल सफ़ेद और पीले रंग के होते हैं। नागकेसर के फूलों के अंदर पीले केसरी रंग का पुंकेसर गुच्छों में आते हैं, इसे ही नागकेसर कहा जाता है।

नागकेसर कसैला, तीखा, गर्म, लघु, रूक्ष, कफ-पित्त शामक, आमपाचक, व्रणरोपक तथा सन्धान कारक होता है। इसके पुंकेसर से बनने वाले एसेंशियल ऑयल में एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। इन्हीं गुणों के कारण से इसका सेवन कई बीमारियों में लाभप्रद होता है। यह 18-30 मी. ऊँचा, माध्यम आकार का हमेशा हरा भरा रहने वाला एक पेड़ है।

नागकेसर के क्या फायदे है ? (Nagkesar Kya Hai In Hindi?)

नागकेसर के कई फायदे है जो इस प्रकार हैं : 

हिचकी में फायदेमंद (Benefits of Nagkesar in Hiccups in Hindi)

हिचकियाँ कभी भी अचानक से शुरू हो जाती हैं और फिर जल्दी रुकती भी नहीं है। वैसे तो ऐसे कई घरेलू उपाय हैं जिसके मदद से आप अपने हिचकी को रोक सकते हैं। उन्हीं सब उपायों में शामिल नागकेसर भी है इसके उपयोग से भी हिचकी रुक जाती है। इसके लिए आपको 500 mg नागकेसर के सूक्ष्म चूर्ण में 1-1 gram शहद और मिश्री को मिलाकर इसका सेवन करके अनुपान में गन्ने या महुवे के रस का सेवन करने से हिचकी में फायदा होता है।

खांसी और सांस संबंधी रोगों में फायदेमंद (Benefits of Nagkesar in Cough and respiratory disorders in Hindi)

नागकेसर में ऐसे गुण होते हैं जिनकी वजह से खांसी और सांसो से जुड़े रोगों में लाभ मिलता है। ये आपके फेफड़ों की सूजन को भी कम करने में फायदेमंद है। इसके लिए नागकेसर मूल और छाल का काढ़ा बनाकर 10-20 ml मात्रा में सेवन करें। इसका सेवन आप तब तक करें जब तक आपकी पीड़ा से आपको आराम न मिल जाए और इसका सेवन आप नियमित रूप से करें ।

सर्दीजुकाम में फायदेमंद (Benefits of Nagkesar in Cold and cough in Hindi)

नागकेसर सर्दी जुकाम को भी दूर कर जल्दी आराम देता है। यदि आपको  जुकाम हो जाता है तो आप नागकेसर के पत्तों के पेस्ट को सिर पर लगाएं। ऐसा करने से सर्दी-जुकाम में भी लाभ मिलेगा ।

दस्त के साथ खून आने में फायदेमंद (Benefits of Nagkesar in Diarrhea in Hindi)

खराब खान पान और पेट में जरूरत से ज्यादा गर्मी या फिर दूसरे अन्य कारणों से दस्त के साथ-साथ खून भी निकलने लगता है। अक्सर बच्चे इस समस्या से ज्यादा पीड़ित रहते हैं, हालांकि बड़ों में भी यह समस्या होना आम बात है। दस्त में खून की समस्या से आराम दिलाने में नागकेसर बहुत कारगर है। इसके लिए 250-500 मिग्रा नागकेसर चूर्ण को शहद से युक्त मक्खन के साथ या फिर चीनी से युक्त मक्खन के साथ इसका सेवन करने से मल में खून निकलने की परेशानी से आराम मिल सकता है।

शीतपित्त में फायदेमंद (Benefits of Nagkesar in Hives in Hindi)

नागकेसर का इस्तेमाल त्वचा (skin) से संबंधित बीमारियां जैसे शीतपित्त को दूर करने लिए किया जाता है, क्योंकि नागकेसर के तेल में “शोधहर” गुण पाया जाता है इसके अलावा आयुर्वेद के अनुसार ये खुजली यानी की कण्डुघ्न को दूर करता है।

जोड़ों के दर्द में फायदेमंद (Benefits of Nagkesar in Joint Pain in Hindi)

बढ़ती उम्र के साथ साथ जोड़ों में दर्द होना एक आम बात हो गया है परंतु आज के दौर में यंगस्टर में भी इस परेशानी को देखा गया है। आर्थराइटिस के पेशेंट की संख्या लगभग दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। ऐसे में घरेलू उपायों की सहायता से आप काफी हद तक जोड़ों के दर्द की परेशानी को कम कर सकते हैं। इसके लिए नागकेसर के बीजों के तेल को जोड़ों पर या फिर दर्द वाली जगह पर लगाए और मालिश करे।  इस तेल के मालिश से जोड़ों के दर्द से बहुत जल्दी आराम मिलता है ।

घाव में फायदेमंद (Benefits of Nagkesar in Cough and respiratory disorders in Hindi)

यदि आपके शरीर पर कहीं भी घाव आदि हो तो आप नागकेसर को उपयोग में ला सकते हैं। इसके लिए आप केवल घाव पर नागकेसर का तेल लगाएं। इस तेल को लगाने से घाव बहुत जल्दी ठीक होने लगेगा ।

शीतपित्त में फायदेमंद (Benefits of Nagkesar in Hives in Hindi)

नागकेसर का उपयोग त्वचा से संबंधित रोग जैसे की शीतपित्त आदि बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है , क्योंकि इसके तेल में “शोधहर” का गुण होता है। आयुर्वेद के अनुसार नागकेसर खुजली यानी की कण्डुघ्न को दूर करने वाला होता है।

हैजा में फायदेमंद (Benefits of Nagkesar in Cholera in Hindi)

हैजा के लक्षणों को कम करने के लिए आप नाग केसर का सेवन कर सकते है क्योंकि नागकेसर में एंटी बैट्रिअल का गुण पाया जाता है जिससे  हैजा में आराम मिलता है ।

आमाशय की जलन (गैस्ट्रिक) (Benefits of Nagkesar in Gastritis in Hindi)

नागकेसर का सेवन अपचन के वजह से होने वाली आमाशय की जलन (गैस्ट्रिक) के लक्षणों को दूर करने में सहायता करता है, क्योंकि इसमें पाचन के गुण पाए जाते है जो कि भोज्य पदार्थों को पचाने में सहायता करता है जिससे आमाशय की जलन कम होती है और आपको आराम मिलता है ।

कमर दर्द में फायदेमंद (Benefits of Nagkesar in back pain disorders in Hindi)

क्या आप लोग भी कमर दर्द की परेशानी को झेल रहे है? यदि ऐसा है तो हम आपको नागकेसर के प्रयोग के बारे में बताना चाहते है। दरसल नागकेसर कमर दर्द में फायदेमंद होता है, नागकेसर में ऐसा गुण पाया जाता है जो की आपके कमर दर्द को जल्द ही ठीक कर देगा और साथ ही आपको राहत दिलाने में सहायता करेगा। कमर दर्द होने पर नागकेसर के बीज से बने तेल को कमर पर लगाए और इस तेल से मालिश करें। इसकी मालिश से दर्द जल्दी दूर हो सकता है।

सांप के काटने में फायदेमंद (Benefits of Nagkesar in Snake Bite in Hindi)

सांप के द्वारा काट लेने पर लोग बहुत घबरा जाते हैं कि वे समझ नहीं पाते है कि उस समय किन चीजों का प्रयोग किया जाए। हम आपकी जानकारी के लिए बता दे कि नागकेसर के लाभ से सांप के जहर के प्रभाव को कम किया जाता है। इसके लिए जिस जगह पर सांप ने काटा हो उस जगह पर नागकेसर के पत्तों को पीसकर उसका लेप लगा दें । इस लेप को लगाने से दर्द और जलन से काफी हद तक आराम मिलेगा ।

Frequently Asked Questions

1. भारत में नागकेसर का पौधा कहाँ उगाया जाता है?

भारत में नागकेसर का पौधा पूर्वोत्तर हिमालय, असम, पूर्वी एवं पश्चिमी बंगाल, दक्षिण भारत, में 1600 मी की ऊँचाई पर उगाया जाता है।

2. नागकेसर का कौन सा भाग उपयोगी होता है?

जन्म कुंडली के 12वें भाव में बृहस्पति और चंद्रमा है तो आयु लम्बी होती है।

3.नागकेसर की खुराक कितनी मात्रा में लेनी चाहिए?

नागकेसर की खुराक की मात्रा : चूर्ण : 250-500 mg, काढ़ा : 10-20 ml .