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रोहिणी नक्षत्र से जुडी बातें : रोहिणी नक्षत्र में पैदा हुए लोग (Rohini Nakshatra Se Judi Baate : Rohini Nakshatra Me Paida Huve Log)

रोहिणी नक्षत्र से जुडी बातें : रोहिणी नक्षत्र में पैदा हुए लोग (Rohini Nakshatra Se Judi Baate : Rohini Nakshatra Me Paida Huve Log)

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हिन्दू धर्म के अनुसार प्रत्येक इंसान का जन्म किसी न किसी नक्षत्र में होता है और कहते है कि हर व्यक्ति पर उस नक्षत्र का प्रभाव सकारात्मक या नकारात्मक ढंग से पड़ता ही है, जिस भी नक्षत्र में उस व्यक्ति का जन्म हुआ होता है। वैदिक ज्योतिष तारों के समूह को नक्षत्र की संज्ञा देता है। 

हिन्दू धर्म के अनुसार 27 नक्षत्र है, जिसमे से एक नक्षत्र है रोहिणी नक्षत्र और इनमे रोहिणी नक्षत्र चौथी नक्षत्र है। रोहिणी नक्षत्र 5 तारों की एक समूह है और रोहिणी नक्षत्र ज्यादातर फरवरी महीने के बिच आकाश में पश्चिम दिशा के तरफ शाम के 6 बजे से रात 9 बजे तक दिखाई पड़ती है। 

प्रत्येक वर्ष 26th मई से 8th जून तक रोहिणी नक्षत्र में सूर्य का गोचर होता है और इस वर्ष रोहिणी नक्षत्र 2021 के व्रत का समय इस प्रकार है :

रोहिणी नक्षत्र जनवरी 24th 2021 : जनवरी 23th, 9:33 PM – जनवरी 25th, 12:01 AM

रोहिणी नक्षत्र फरवरी 21st 2021 : फरवरी 20th, 5:58 AM – फरवरी 21, 8:43 AM

रोहिणी नक्षत्र मार्च 20th 2021 : मार्च 19th, 1:44 PM – मार्च 20th, 4:46 PM

रोहिणी नक्षत्र अप्रैल 16th 2021 : अप्रैल 15th, 8:33 PM – अप्रैल 16th, 11:40 PM

रोहिणी नक्षत्र मई 13th 2021 : मई 13th, 2:40 AM – मई 14th, 5:45 AM

रोहिणी नक्षत्र जून 10th 2021: जून 09th, 8:44 AM – जून 10th, 11:44 AM

रोहिणी नक्षत्र जुलाई 7th 2021: जुलाई 06th, 3:20 PM – जुलाई 07th, 6:19 PM

रोहिणी नक्षत्र अगस्त 3rd 2021 : अगस्त 02nd, 10:43 PM – अगस्त 04th, 1:44 AM

रोहिणी नक्षत्र अगस्त 31st 2021 : अगस्त 30th, 6:39 AM – अगस्त 31st, 9:44 AM

रोहिणी नक्षत्र सितम्बर 27th 2021 : सितम्बर 26th, 2:33 PM – सितम्बर 27th, 5:41 PM

रोहिणी नक्षत्र अक्टूबर 24th 2021 : अक्टूबर 23th, 9:53 PM – अक्टूबर 25th, 1:02 AM

रोहिणी नक्षत्र नवंबर 21st 2021 : नवंबर 20th, 4:29 AM – नवंबर 21st, 7:36 AM

रोहिणी नक्षत्र दिसंबर 18th 2021 : दिसंबर 17th, 10:40 AM – दिसंबर 18th, 1:48 PM

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार रोहिणी नक्षत्र का व्रत करने से मनचाहा वर प्राप्त होता है, परन्तु आइये सबसे पहले हम रोहिणी नक्षत्र के बारे में कुछ जरूरी बातों को जानें,

रोहिणी नक्षत्र की कहानी (Rohini Nakshatra Ki Kahani)

हिन्दू धर्म के अनुसार, रोहिणी ब्रह्मा के मानस पुत्र प्रजापति दक्ष की कन्या है। रोहिणी दिखने में काफी आकर्षक और सुन्दर थी। रोहिणी का विवाह चंद्र देव के साथ हुआ। हिन्दू धर्म के अनुसार प्रजापति दक्ष की 27 पुत्रियों का विवाह चंद्र देव से हुआ था परन्तु चंद्र देव को प्रेम रोहिणी से ही था। कहते है, जब भी आकाश में चंद्र देव का मिलन रोहिणी नक्षत्र से होता है चंद्र सबसे आकर्षक दीखते है। रोहिणी को सबसे अधिक प्रेम उसकी माता तथा चंद्र देव से था।

रोहिणी नक्षत्र से जुडी कुछ जानकारियाँ:

रोहिणी नक्षत्र स्वामी : चन्द्रमा

रोहिणी नक्षत्र देवता : ब्रह्मा

रोहिणी नक्षत्र रंग : सफ़ेद

रोहिणी नक्षत्र वृक्ष : जामुन

रोहिणी नक्षत्र वर्ण : वैश्य

रोहिणी नक्षत्र वश्य : चतुष्पद

रोहिणी नक्षत्र योनि : सर्प

रोहिणी नक्षत्र महावैर योनि : नेवला

रोहिणी नक्षत्र गण : मानव

रोहिणी नक्षत्र नाड़ी : अंत्य

रोहिणी नक्षत्र योग : सौभाग्य

रोहिणी नक्षत्र जाती : स्त्री

रोहिणी नक्षत्र स्वभाव संकेत : बड़ी आँखें

रोहिणी नक्षत्र संभावित रोग : मुहँ, जीभ, गले से सम्बंधित बीमारी

रोहिणी नक्षत्र विशोंतरी दशा स्वामी : चंद्र   

रोहिणी का स्वाभाव ही उन लोगों में भी पाया जाता है, जो रोहिणी नक्षत्र में जन्म लेते है। रोहिणी नक्षत्र में 4 चरणे होती है, हिन्दू मान्यता अनुसार रोहिणी नक्षत्र के अलग-अलग चरण में जन्मे लोगों का स्वभाव भी कुछ हद तक अलग-अलग ही पाए जाते है, आइये जानते है, रोहिणी नक्षत्र के 4 चरणों के द्वारा लोगो का स्वभाव,  

रोहिणी नक्षत्र प्रथम चरण : इस चरण के स्वामी मंगल देव है। रोहिणी नक्षत्र के प्रथम चरण में जन्म लेने के कारण जातक अथवा जातिका बहुत ही भाग्यशाली होते है। मंगल देव और चंद्र देव में मित्रता के कारण जातक को धन और ख्याति भी दिलाता है। मंगल ग्रह और चन्द्रमा के दशा, अन्तर्दशा या महादशा में जातक को उन्नति दिलाता है और इनसब में विशेष सहायक सिद्ध होंगे लग्न के देवता शुक्र तथा शुक्र की दशा या अन्तर्दशा। 

रोहिणी नक्षत्र द्वितीय चरण : रोहिणी नक्षत्र के दूसरे चरण के स्वामी ग्रह शुक्र है। इस चरण में जन्म लेने के कारण जातक अथवा जातिका सुख तो भोगते है परन्तु किसी न किसी पीड़ा से आहात भी रहते है। शुक्र ग्रह की दशा, अन्तर्दशा तथा महादशा बहुत लाभकारी और विशेष उन्नति दिलाता है। 

रोहिणी नक्षत्र तृतीय चरण : रोहिणी नक्षत्र के तीसरे चरण के स्वामी ग्रह बुध है। इस चरण में जन्म लेने के कारण जातक अथवा जातिका डरपोक, भावुक तथा बहुत ही नरम स्वभाव के होंगे। इस चरण के लिए अशुभ ग्रह की दशा है चंद्र तथा बुध की, वहीँ अगर शुभ ग्रह दशा की बात करे तो, लग्नेश शुक्र की दशा, अन्तर्दशा तथा महादशा विशेष उन्नतिकारक रहेगा। 

रोहिणी नक्षत्र चतुर्थ चरण : रोहिणी नक्षत्र के चौथे चरण के स्वामी ग्रह चंद्र है। इस चरण में जन्म लेने के कारण जातक अथवा जातिका सत्य बोलने वाले तथा सौन्दर्य प्रेमी होते है।  चंद्र की दशा, अन्तर्दशा तथा महादशा बहुत ही शुभ रहेगी तथा शुक्र ग्रह की अन्तर्दशा, दशा तथा महादशा उन्नतिकारक सिद्ध होगी।    

रोहिणी नक्षत्र के लोगों के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां :

सकारात्मक (Positive) :

  1. ये बहुत ही रचनात्मक स्वभाव वाले होते है। 
  2. इन्हें अपनी माता से बहुत अधिक प्रेम होता है। 
  3. ये हर चीज को सही ढंग अथवा बहुत ही व्यवस्थित तरीके से करना पसंद करते है। 
  4. ये अच्छे कपड़े पहनने के शौकीन होते है और हमेशा अच्छा दिखना पसंद करते है ।
  5. अपने से विपरीत लिंग के प्रति हमेशा आकर्षित रहते है तथा भौतिक सुख सुविधा के तरफ इनका ज्यादा झुकाव रहता है ।
  6. इन्हे घूमने-फिरने का काफी शौख रहता है तथा ईश्वर पर विश्वास रखते है। 
  7. अपने काम को पूरी निष्ठा तथा ईमानदारी से करते है। इन्हें न पसंद करने वाले भी इनकी काम की तारीफ करते नहीं थकते है ।

नकारात्मक (Negative) :

  1. इन्हे हर चीज में नुक्स निकालने की आदत होती है। 
  2. ये मनमौजी होते है जिसके कारण इन्हें इनके वैवाहिक जीवन में काफी उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है ।  

दूसरों पर जल्दी विश्वास कर लेते है जिसके कारण इन्हें जीवन में बहुत धोके खाने पड़ते है।

Frequently Asked Questions

1. रोहिणी नक्षत्र के स्वामी कौन है?


रोहिणी नक्षत्र के स्वामी चंद्र देव है।

2. रोहिणी नक्षत्र के देवता कौन है?


रोहिणी नक्षत्र के देवता ब्रह्मदेव है।

3. रोहिणी नक्षत्र में कितने चरण होते है?


रोहिणी नक्षत्र में 4 चरण होते है।

4. रोहिणी नक्षत्र के लोगों को सफलता कब मिलती है?


रोहिणी नक्षत्र के लोगों को सफलता 18 से 36वे वर्ष में मिलती है।

5. रोहिणी नक्षत्र के लिए शुभ समय कौन सा है?


रोहिणी नक्षत्र के लिए 36 से 50 वां वर्ष शुभ समय है।