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सूतक और पातक : शुभ कार्यों का त्याग क्यों ? (Sutak Aur Patak : Shubh Karyo Ka Tyag Kyon?)

सूतक और पातक : शुभ कार्यों का त्याग क्यों ? (Sutak Aur Patak : Shubh Karyo Ka Tyag Kyon?)

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हिन्दू मान्यताओं में बहुत सारी धार्मिक नियमें है, जिनमें सूतक और पातक भी है। सूतक और पातक कुछ ऐसे दिनों की गिनती है जिनमे शुभ कार्यों का त्याग किया जाता है, कहते है शुभ कार्य करने पर कार्य जैसा भी हो परिणाम अपशकुन ही होता है पर प्रश्न यह है कि सूतक दिनों में शुभ कार्यों का त्याग क्यों?” पर इसका उत्तर जाने से पहले, आइये जानते है, सूतक और पातक के बारे में जरूरी बातें :

सूतक क्या है और सूतक का दूसरा नाम? (Sutak Kya Hai? Sutak Meaning)

हिन्दू मान्यतानुसार, घर-परिवार में नए बच्चे के जन्म होने के बाद कुछ दिनों बाद तक धर्म-कर्म का पालन करना वर्जित है अर्थात मनाही है। जैसे की पूजा-पाठ करना, दान-दक्षिणा तथा धार्मिक कार्य। जितने दिनों तक के लिए धर्म-कर्म का पालन करना वर्जित है, उसे ही सूतक कहते है। भारत के अलग-अलग राज्यों में सूतक के अलग-अलग नाम है जैसे की – राजस्थान में सूतक को “सावड़ कहा जाता है तथा महाराष्ट्र में सूतक को “वृद्धि कहा जाता है। हरियाणा, मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश में सूतक के ही नाम से पुकारा जाता है। 

पातक क्या है ? (Patak Kya Hai?)

जिस प्रकार किसी बच्चे के जन्म होने से सूतक काल लग जाती है उसी प्रकार परिवार में किसी की मृत्यु होने से सूतक काल लग जाती है, जिसे कुछ लोग तो आम भाषा में सूतक ही बोलते है परन्तु, इसे ही गरुड़ पुराण में “पातक” कहकर सम्बोधित किया गया। पातक में भी सूतक के तरह ही परिवार में किसी की मृत्यु होने पर कुछ दिनों के लिए धर्म-कर्म के कार्यों को स्थगित कर दिया जाता है।

गरुड़ पुराण के निति अनुसार, यदि घर परिवार में किसी की मृत्यु हो जाए तो पंडित को बुलाकर घर के सभी सदस्यों के सामने गरुड़ पुराण का पाठ करवाना चाहिए और पातक के नियमों का सही ढंग से पालन भी करना चाहिए। गरुड़ पुराण के निति अनुसार पातक लगने के 13वे दिन क्रिया करके ब्राह्मणो को भोजन करवाएं तथा मृत व्यक्ति के नए और पुराने सामन को किसी गरीब अथवा असहाय व्यक्ति को दान में दे देना चाहिए।

किसी बच्चे के जन्म होने पर सूतक नियम :

हिन्दू धर्मशास्त्र तथा मान्यताओं के अनुसार परिवार में किसी बच्चे के जन्म होने से 10 दिन तक सूतक लग जाता है जिसके कारण परिवार के सदस्यों को किसी भी प्रकार की धार्मिक कार्य को करने की मनाही होती है, जैसे की – मंदिर नहीं जाना, पूजा पाठ नहीं करना इत्यादि। बच्चे को जन्म देने वाली माँ को रसोई घर में जाने की मनाही होती है। 10 दिनों के बाद जब घर में यज्ञ हवन आदि धार्मिक कार्य सम्पन्न हो जाते है तब बच्चे को जन्म देने वाली माँ को रसोई घर में जाने की अनुमति दे दी जाती है।    

प्रत्येक वर्ण के लिए अलगअलग सूतक का लगना :

सूतक तो प्रत्येक वर्ण में लगता है परन्तु प्रत्येक वर्ण के लिए सूतक की अवधि अलग-अलग है और यह अवधी पुरानी हिन्दू मान्यताओं और वर्ण के अनुसार महिलाओं के कार्य करने पर होती है, जैसे की – ब्राह्मण महिला पूजा पाठ ज्यादा करती है और उनका काम कम होता है तथा क्षत्रिय महिला रानी के समान होती है। आइये जानते है, पुरानी हिन्दू मान्यताओं के आधार पर चार वर्णों की महिलाओं के लिए सूतक कितने दिनों तक लगता है :

1.  ब्राह्मण : 10 दिन

2.  क्षत्रिय :12 दिन

3.  वैश्य : 15 दिन

4.  क्षुद्र : 30 दिन                                      

सूतक नियम तथा सूतक दिनों में शुभ कार्यों का त्याग क्यों?

  • सूतक काल अथवा सूतक दिनों को शास्त्रीय भाषा में “असौच काल” भी कहते है। असौच काल 2 प्रकार की होती है- एक परिवार में किसी बच्चे के जन्म होने के कारण और दूसरा परिवार में किसी की मृत्यु के कारण। हम यहाँ, मृत्यु होने के कारण लगने वाले सूतक काल के ऊपर चर्चा करेंगे। किसी के भी परिवार में किसी सदस्य की मृत्यु हो जाने के कारण परिवार में कुछ दिनों के लिए सूतक काल लग जाता है।  हिन्दू शास्त्र के अनुसार ब्राह्मण को 10 दिन, क्षत्रिय को 12 दिन, वैश्य को 15 दिन तथा शूद्र को 20 दिन का सूतक काल लगता है लेकिन विशेष परिस्थिति में चारों वर्णों की सूतक काल की क्रिया 10 दिनों में हो जाती है और इसे ही “शुद्धि” कहते है इसके बाद छुवाछुत का दोष नहीं लगता तथा त्रयोदश संस्कार के बाद “पूर्णशुद्धि” भी हो जाती है और इन सब के बाद भगवान की पूजा आराधना की शुरुवात की जाती है जिसमे भगवान विष्णु की पूजा “श्री सत्यनारायण जी” की कथा का श्रवण अनिवार्य रूप से किया जाता है ।  
  • यदि किसी वजह से परिवार में एक सदस्य के मृत्यु के दस दिनों के अंदर ही किसी और सदस्य की मृत्यु हो जाए तो तो पहले मृत व्यक्ति के मृत्यु तिथि के अनुसार ही दूसरे मृत व्यक्ति के सूतक की भी क्रिया का समापन हो जाएगा। हिन्दू शास्त्र के नियम अनुसार पहले से यदि कोई सूतक लगा हुआ है तो दसवे दिन के रात के तीसरे प्रहर तक यदि किसी अन्य व्यक्ति की मृत्यु हो जाए तो पहली मृत्यु के सूतक के 10 दिन के अतिरिक्त और 2 दिन का ही सूतक लगेगा।       
  • यदि सूतक के दसवे दिन के चतुर्थ प्रहर में भी परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु हो जाए तो सिर्फ 3 दिनों का अतिरिक्त सूतक लगेगा किन्तु क्रिया कर्म करने वाले इंसान के लिए सूतक 10 दिनों तक के लिए ही मान्य होगा तथा परिवार के अन्य सदस्य सूतक के दोष से मुक्त हो जाएंगे ।
  • यदि किसी के पिता के निधन के बाद 10 दिनों के अंदर माता का भी निधन हो जाए तो सूतक काल डेढ़ दिन के लिए और आगे बढ़ जायेगा और यदि माता के निधन के 10 दिनों ने अंदर पिता का निधन हो जाए तो पिता के मृत्यु के तिथि से पूरे 10 दिनों तक का सूतक काल को माना जायेगा। 
  • यदि किसी कारण के वजह से निधन के दिन ही दाह संस्कार न हो पाए तो निधन के दिन से ही सूतक काल की गिनती होगी। अग्निहोत्र करने वाले व्यक्ति के लिए सूतक काल का समय 10 दिनों तक ही मान्य होगा। 
  • यदि किसी लड़की का विवाह होता है और विवाह के बाद लड़की के माता पिता की मृत्यु हो जाती है, तो विवाहिता लड़की को 3 दिन का सूतक काल लगेगा तथा मृत्यु के पश्चात जब तक घर में मृत व्यक्ति का शव रहेगा वहाँ पर उपस्थित सभी गोत्र के लोगो को ही सूतक का दोष लगता है। 
  • यदि कोई अन्य जाति का व्यक्ति किसी अन्य जाति के व्यक्ति को कन्धा दे तथा उसके घर में रहे और वहीँ भोजन भी करे तो उसे भी 10 दिनों का सूतक काल लगेगा। 
  • यदि कोई इंसान सिर्फ शव को कन्धा देने के लिए ही शामिल होता है तो उसे भी 10 दिनों का सूतक काल लगेगा।
  • दाह संस्कार या अंतिम संस्कार यदि दिन के समय अर्थात सूर्योदय में ही संपन्न हो जाए तो शव यात्रा में शामिल सभी लोगों को सूर्यास्त के बाद सूतक का दोष नहीं लगता है।                     
  • रात में दाह संस्कार या अंतिम संस्कार होने पर सूर्योदय से पूर्व तक सूतक दोष रहता है। 
  • सूतक काल में मांगलिक कार्य करने की मनाही है तथा परिवार के लोगों को श्रृंगार आदि करने की भी मनाही है।

Frequently Asked Questions

1. क्या सूतक काल में मांगलिक कार्य कर सकते है?

जी नहीं, सूतक काल में मांगलिक कार्य नहीं कर सकते है।

2. ब्राह्मणों के लिए कितने दिनों तक सूतक काल माना जाता है?

ब्राह्मणों के लिए 10 दिनों तक सूतक काल माना जाता है।

3. क्षत्रिय के लिए कितने दिनों तक सूतक काल माना जाता है?

क्षत्रिय के लिए 12 दिनों तक सूतक काल माना जाता है।

4. वैश्य के लिए कितने दिनों तक सूतक काल माना जाता है?

वैश्य के लिए 15 दिनों तक सूतक काल माना जाता है।

5. शूद्र के लिए कितने दिनों तक सूतक काल माना जाता है?

शूद्र के लिए 30 दिनों तक सूतक काल माना जाता है।