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तेरी मुरली की धुन सुनने मैं बरसाने से आयी हूँ ।मैं बरसाने से आयी हूँ, मैं वृषभानु की जाई हूँ ॥
अरे रसिया, ओ मन वासिय, मैं इतनी दूर से आयी हूँ ॥
सुना है श्याम मनमोहन, के माखन खूब चुराते हो ।तुम्हे माखन खिलने को मैं मटकी साथ लायी हूँ ॥तेरी मुरली की धुन सुनने मैं बरसाने से आयी हूँ….
सुना है श्याम मनमोहन, के गौएँ खूब चरते हो ।तेरे गौएँ चराने को मैं ग्वाले साथ लायी हूँ ॥तेरी मुरली की धुन सुनने मैं बरसाने से आयी हूँ….
सुना है श्याम मनमोहन, के कृपा खूब करते हो ।तेरे गौएँ चराने को मैं ग्वाले साथ लायी हूँ ॥तेरी मुरली की धुन सुनने मैं बरसाने से आयी हूँ….
सुना है श्याम मनमोहन, के कृपा खूब करते हो ।तेरी किरपा मैं पाने को तेरे दरबार आई हूँ॥तेरी मुरली की धुन सुनने मैं बरसाने से आयी हूँ….