बाबो म्हारो गांव गयो है, ना जाने कद आवैलो, ऊके भरोसे बैठयो रहयो तो, भूखो ही रह जावैलो। आज जिमाऊं तैने रे खीचड़ो, काल राबड़ी छाछ की, थाली भरकर ल्यार्इ रै ….
बार-बार मंदिर न जुड़ती, बार-बार में खोलती, कर्इया कोइनी जीमे रे मोहन, करडी- बोलती। तू जीमे तो जद मैं जिमूं, मानू ना कोर्इ लाट की, जीमो म्हारो श्याम धणी, जिमावै बेटी जाटी की।। थाली भरकर ल्यार्इ रै ….