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यंत्र : महत्व, शक्ति, उपयोग, यंत्र के लाभ, बनावट और प्रकार (Yantra : Mahatva, Shakti, Upyog, Yantra Ke Labh, Banawat  Aur Prakar)

यंत्र : महत्व, शक्ति, उपयोग, यंत्र के लाभ, बनावट और प्रकार (Yantra : Mahatva, Shakti, Upyog, Yantra Ke Labh, Banawat Aur Prakar)

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यंत्र (Yantra) को ईश्वर का ही रूप माना जाता है। प्राचीन काल के लोग इस रहस्यमयी आरेख अर्थात यंत्र का उपयोग ध्यान, योग, पूजा तथा प्रार्थनाओं के लिए करते थे और आज भी लोग इनका उपयोग कर रहें हैं। प्रत्येक देवता के लिए एक विशेष यंत्र का निर्माण किया गया है। कुछ यंत्रों को किसी विशेष मनोकामना तथा सिद्धि प्राप्त करने के लिए भी बनाया गया है। इन यंत्रों की सिद्धि प्राप्त करने के लिए या तो ध्यान का मार्ग चुनना पड़ता है या फिर यंत्र स्थापित कर किसी विशेष मंत्र के द्वारा पूजा और जप करना पड़ता है।  

प्रत्येक देवता के साथ-साथ जन्म कुंडली में उपस्थित नवग्रहों के लिए भी विशेष यंत्र होते है जिसके पूजा मात्र से ही नवग्रहों के शुभ फल प्राप्त हो जाते है। जन्मकुंडली का प्रत्येक ग्रह अलग-अलग भाव तथा गुण और विशेषता लिए हुए होता है इसलिए हर एक के लिए ही अलग-अलग यंत्रों की आवश्यकता पड़ती है।

यंत्र का महत्व – (Yantra Ka Mahatva)

जन्म कुंडली में सभी ग्रह अलग-अलग भावों का प्रतिनिधित्व करते हैं और प्रत्येक भाव अलग-अलग पहलू अर्थात धन, विद्या, आय, प्रेम, स्वास्थ्य, व्यवसाय इत्यादि को दर्शाते हैं। कुछ ग्रह अपने भाव में ही बैठकर शुभ फल देते है तो कुछ ग्रह अन्य भावों में बैठ कर अशुभ फल देते हैं। ग्रहों के इन्ही अशुभता को दूर करने के लिए यंत्रों का उपयोग किया जाता है। यदि आप किसी ज्योतिषी के पास जाएंगे तो आपके जन्म कुंडली के अशुभ ग्रहों के आधार पर ही ज्योतिष आपको यंत्रों का उपयोग करने की सलाह देंगे। यंत्र जीवन के हर कष्ट और बाधा को दूर कर जीवन में धन, प्रसन्नता और समृद्धि लाता है।

यंत्र की शक्ति : (Yantra Ki Shakti)

  • यंत्र में ऐसी शक्ति होती है जो ध्यान केंद्रित करने में सहायक है तथा साधना के प्रति गंभीरता बढ़ाने में भी सहायक है।
  • यंत्र प्रार्थना की तीव्रता बढ़ाने में सक्षम है ।
  • यंत्र मानव शरीर में कम्पन, ऊर्जा तथा ब्रह्माण्ड की शक्ति की प्रवाह को बढ़ता है। यंत्र ब्रह्माण्ड के गूढ़ सत्य तक पहुंचने में सहायक है। यंत्र की सहायता से ध्यान और प्रार्थना करने से ब्रह्माण्ड की पवित्र और दैविक ऊर्जा मनुष्य के शरीर और आस-पास के नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट कर शुभ और सकारात्मक ऊर्जा में बदल जाती है। 
  • यंत्र के उपयोग से मानसिक शांति प्राप्त होती है। कोई भी अड़चन यंत्रों की शक्ति से टल जाती है।

किस उद्देश्य के लिए किया जाता है यंत्रों का उपयोग?  

यंत्रों का उपयोग तीन उद्देश्यों को पूर्ण करने के लिए किया जाता है, जो इस प्रकार है :

  • अनुष्ठान की सम्पन्नता :

किसी भी अनुष्ठान को पूर्ण करने के लिए यंत्र की आवस्यकता पड़ती है। किसी भी यज्ञ या पूजा में सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने के लिए यंत्र की स्थापना की जाती है।

  • दैनिक पूजा तथा मंदिरों में :

नियमित रूप से पूजा करने के लिए भी यन्त्र का उपयोग किया जाता है। मंदिरों में भी यंत्रों को अभिमंत्रित करके रखा जाता है। कुछ यंत्रों पर मंत्र लिखा होता है ।

  • मनोकामना पूर्ण करने के लिए :

यंत्र का उपयोग अपनी विशेष इच्छापूर्ति के लिए भी किया जाता है।  

यंत्र के लाभ : (Yantra Ke Labh)

  • ग्रहों की अशुभता दूर करता है।
  • आंतरिक सद्भावना प्रदान करना।
  • व्यवसाय या व्यापर के बढ़ोतरी में। 
  • यंत्र सौभाग्य, सफलता तथा समृद्धि को अपनी तरफ खींचते हैं।
  • यह अपनी और सकारात्मक ऊर्जा को खींचता है अतः इसे घर में रखने से घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।

यंत्र की बनावट : (Yantra ki Banawat)

ज्यादातर यंत्र त्रिभुज, चतुर्भुज, वृत्त, षट्भुज, अष्टभुज तथा कमल की पंखुड़ियों की आकृति के होते हैं। यंत्रों को किसी भी सपाट सतह पर बना सकते है। इसे धातु, कागज़ तथा पत्तों पर भी आँका जाता हैं।  इसे बनाने में विशिष्ट रंगों का उपयोग किया जाता है। यंत्रों में उपयोग किये जाने वाले रंग मनोकामना, विचार तथा उद्देश्य को दर्शाते है। यंत्रों पर स्थित बिंदु – केंद्र बिंदु होते है जो विशेष देवता का प्रतिनिधित्व करते हैं। 

बनावट के आधार पर यंत्रों के कुल 5 प्रकार होते हैं, जो इस प्रकार हैं :

  1. भू-पृष्ठ यंत्र : यह समतल आकार वाली वस्तुओं पर बनाए जाते हैं।
  2. मेरुपृष्ठ यंत्र : इसकी आकृति उभरी हुई पर्वत के जैसी होती है।
  3. पाताल यंत्र : इसकी आकृति “मेरुपृष्ठ यंत्र” के विपरीत होती है।
  4. मेरु प्रस्तार यंत्र : इसकी आकृति कटी हुई होती है।
  5. कुर्मपृष्ट यंत्र : इस यंत्र की आकृति कछुए की पीठ की तरह ढ़लावदार होती है।

यंत्र कितने प्रकार के होते हैं ? (Yantra Ke Prakar)

आमतौर पर, यंत्र के 2 प्रकार होते हैं :

  1. आकृतिमूलक यंत्र
  2. रेखात्मक यंत्र

रेखात्मक यंत्र भी चार प्रकार के होते है :

  1. बीजात्मक यंत्र
  2. मंत्रात्मक यंत्र
  3. अंकात्मक यंत्र
  4. मिश्रात्मक यंत्र

अंकात्मक यंत्र सबसे अधिक महत्वपूर्ण होते है। इस यंत्र में कुछ प्रसिद्ध यंत्र हैं,  जैसे की – पंचदशी, बीसा यंत्र इत्यादि।

शास्त्रों के अनुसार यंत्र सात प्रकार के होते है :

  1. दर्शन यंत्र
  2. मंडल यंत्र
  3. पूजा यंत्र
  4. आसन यंत्र
  5. शरीर यंत्र
  6. धारण यंत्र
  7. छत्र यंत्र

कुछ लोकप्रिय और प्रचलित यंत्र :

  • श्री यंत्र (Shree Yantra) :

इस  यंत्र का उपयोग माता लक्ष्मी की पूजा में की जाती हैं। इस यंत्र की पूजा से धन, समृद्धि की प्राप्ति होती हैं।

  • कुबेर यंत्र (Kuber Yantra) :

इस यंत्र की पूजा से वित्तीय लाभ और धन की प्राप्ति होती है।

  • नवग्रह यंत्र (Navgrah Yantra) :

इस यंत्र की पूजा से जन्म कुंडली के नवग्रह के बुरे प्रभावों से मुक्ति मिल जाती है।

नोट : किसी भी यंत्र का उपयोग करने से पहले किसी ज्ञानी या ज्योतिषी द्वारा परामर्श अवश्य लें।

Frequently Asked Questions

1. देवी लक्ष्मी की पूजा करने के लिए किस यंत्र का उपयोग करें?

देवी लक्ष्मी की पूजा करने के लिए श्री यंत्र का उपयोग करें।

2. जन्म कुंडली के सभी ग्रहों के दुष्परिणाम से बचने के लिए कौन से यंत्र का उपयोग करें?

जन्म कुंडली के सभी ग्रहों के दुष्परिणाम से बचने के लिए नवग्रह यंत्र का उपयोग करें।

3. यंत्र कितने प्रकार के होते है?

बनावट के आधार पर यंत्र 2 प्रकार के होतें है तथा शास्त्रों के अनुसार यंत्र सात प्रकार के होते है।

4. किस यंत्र में पंचदशी तथा बीसा यंत्र शामिल हैं?

अंकात्मक यंत्र में पंचदशी तथा बीसा यंत्र शामिल हैं।