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Apsara Mantra In Hindi: धन-ऐश्वर्य और सुंदरता देती हैं ये 8 अप्सराएं : पढ़ें इनके 8 मंत्र | Free PDF Download

Apsara Mantra In Hindi: धन-ऐश्वर्य और सुंदरता देती हैं ये 8 अप्सराएं : पढ़ें इनके 8 मंत्र | Free PDF Download

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कुछ अप्सराओं के कुछ नाम सभी लोग जानते हैं, जैसे रम्भा व उर्वशी। अप्सराएं इन्द्रलोक में रहती हैं तथा प्रसन्न होने पर दिव्य रसायन देती हैं। जिससे व्यक्ति स्वस्थ, शक्तिशाली व लंबी आयु प्राप्त करता है। लोकों में भ्रमण करवातीं हैं। राज्य प्रदान करती हैं।

अप्सराएं सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। भोग, ऐश्वर्य, वस्त्रालंकार प्रदान करती हैं। मित्र की भांति रहती हैं। मुख्य अप्सराएं 8 हैं जिनके नाम निम्नलिखित हैं-

  1. शशि अप्सरा, 2. तिलोत्तमा अप्सरा, 3. कांचन माला अप्सरा, 4. कुंडला हारिणी अप्सरा, 5. रत्नमाला अप्सरा, 6. रंभा अप्सरा, 7. उर्वशी अप्सरा, 8. भू‍षणि अप्सरा।

इनका मुख्‍य कार्य देवताओं का मनोरंजन करना होता है। ये देवताओं के जैसी ही शक्तिसंपन्न होती हैं। शाप व वरदान देने में सक्षम होती हैं।

शशि अप्सरा – इनकी साधना दुर्जट पर्वत शिखर पर होती है। 1 माह पूर्ण जप करना होता है। ये दिव्य रसायन प्रदान करती हैं जिससे व्यक्ति बली, निरोग व पूर्ण आयु प्राप्त करता है।

मंत्र- ‘ॐ श्री शशि देव्या मा आगच्छागच्छ स्वाहा।’

तिलोत्तमा अप्सरा – पर्वत शिखर पर साधन होता है तथा राज्य प्रदान करती है।

मंत्र – ‘ॐ श्री तिलोत्तमे आगच्छागच्छ स्वाहा।’

कांचन माला अप्सरा – नदी के संगम पर साधना करना पड़ती है तथा सभी इच्छाएं पूर्ण करती हैं।

मंत्र – ‘ॐ श्री कांचन माले आगच्छागच्छ स्वाहा।’

कुंडला हारिणी अप्सरा – धन व रसायन प्रदान करती हैं। साधना पर्वत शिखर पर की जाती है।

मंत्र – ‘ॐ श्री ह्रीं कुंडला हारिणी आगच्छागच्छ स्वाहा।’

रत्नमाला अप्सरा – सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं तथा मंदिर में साधन किया जाता है।

मंत्र – ‘ॐ श्री ह्रीं रत्नमाले आगच्छागच्छ स्वाहा।’

रंभा अप्सरा – घर में एकांत कमरे में साधना की जाती है। धन, राज्य व रसायन प्रदान करती हैं।

मंत्र – ‘ॐ स: रंभे आगच्छागच्छ स्वाहा।’

उर्वशी अप्सरा – घर के एकांत कक्ष में साधना की जाती है। सभी इच्छाएं पूर्ण करती हैं।

मंत्र – ‘ॐ श्री उर्वशी आगच्छागच्छ स्वाहा।’

भू‍षणि अप्सरा – कहीं भी एकांत में साधन होता है तथा भोग व ऐश्वर्य प्रदान करती है।

मंत्र – ‘ॐ वा: श्री वा: श्री भू‍षणि आगच्छागच्छ स्वाहा।’

उपरोक्त केवल परिचय मात्र है। तंत्र का मतलब अनुशासन है अत: यंत्र चित्र, आसन, वस्त्र, पूजन सामग्री, माला इत्यादि के प्रयोग देवता के स्वभाव के अनुरूप होते हैं जिनका प्रयोग सफलता प्रशस्त करता है

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