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Brahma Muhurta: अमृत वेला में ईश्वर भक्ति के लिए सर्वश्रेष्ठ समय

Brahma Muhurta: अमृत वेला में ईश्वर भक्ति के लिए सर्वश्रेष्ठ समय

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रात्रि के अंतिम प्रहर को ब्रह्म मुहूर्त कहते हैं। हमारे ऋषि-मुनियों ने इस मुहूर्त का विशेष महत्व बताया है। उनके अनुसार यह समय निद्रा त्याग के लिए सर्वोत्तम है। सूर्य और चंद्रमा के साथ ग्रह के संबंध की प्रकृति ऐसी है कि इस समय मानव प्रणाली में कुछ शारीरिक परिवर्तन होते हैं। चिकित्सा विज्ञान ने यहां तक ​​पाया है कि आपके शरीर में अपशिष्ट पदार्थ, जैसे कि आपके मूत्र में उस समय कुछ गुण होते हैं जो दिन के किसी अन्य समय में नहीं होते हैं।

ब्रह्म मुहूर्त में उठने से सौंदर्य, बल, विद्या, बुद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। सूर्योदय से चार घड़ी (लगभग डेढ़ घंटे) पूर्वब्रह्म मुहूर्त में ही जाग जाना चाहिए। इस समय सोना शास्त्र निषिद्ध है। ब्रह्म का मतलब है परम तत्व या परमात्मा। मुहूर्त यानी अनुकूल समय। रात्रि का अंतिम प्रहर अर्थात प्रात: 4 से 5.30 बजे का समय ब्रह्म मुहूर्त कहा गया है।

‘ब्रह्ममुहूर्ते या निद्रा सा पुण्यक्षयकारिणी ।’ (ब्रह्म मुहूर्तकी निद्रा पुण्य का नाश करने वाली होती है।)

सिख धर्म में इस समय के लिए बेहद सुंदर नाम है‘अमृत वेला’ जिससे इस समय का महत्व स्वयं ही साबित हो जाता है। ईश्वर भक्ति के लिए यह सर्वश्रेष्ठ समय है। इस समय उठने से मनुष्य को सौंदर्य, लक्ष्मी, बुद्धि, स्वास्थ्य आदि की प्राप्ति होती है। उसका मन शांत व मन पवित्र होता है। ब्रह्म मुहूर्त में उठना हमारे जीवन के लिए बहुत लाभकारी है। इससे हमारा शरीर स्वस्थ होता हैऔर दिन भर स्फूर्ति बनी रहती है। स्वस्थ रहने और सफल होने का यह ऐसा फार्मूला है, जिसमें खर्च कुछ नहीं होता। केवल आलस्य छोड़ने की जरूरत है।

पौराणिक महत्व

भगवान वाल्मीकि रचित ‘रामायण’ के अनुसार माता सीता को ढूंढते हुए श्री हनुमान ब्रह्म मुहूर्त में ही अशोक वाटिका पहुंचे थे, जहां उन्होंने वेद एवं यज्ञ के ज्ञाताओं के मंत्र उच्चारण का स्वर सुना शास्त्रों में भी इसका उल्लेख है:

वर्णं र्कीत मतिं लक्ष्मीं स्वा स्थ्यायुर्व वदन्ति । ब्रा ह्मे मुहूर्ते संजा ग्रच्छि वा पंकज यथा ।।

अर्थात : ब्रह्म मुहूर्तमेंउठनेसेव्यक्ति को सुंदरता, लक्ष्मी, बुद्धि, स्वास्थ्य, आयुआदि की प्राप्ति होती है। ऐसा करनेसे शरीर कमल की तरह सुंदर हो जाता है।

ब्रह्म मुहूर्त और प्रकृति

ब्रह्म मुहूर्त और प्रकृति का गहरा नाता है। इस समय में पशु-पक्षी जाग जाते हैं। उनका मधुर कलरव शुरू हो जाता है। ब्रह्म मुहूर्त में कमल का फूल भी खिल उठता है। मुर्गे बांग देने लगते हैं। एक तरह से प्रकृति भी ब्रह्म मुहूर्त में चैतन्य हो जाती है। यह प्रतीक है उठने और जागने का। प्रकृति हमें संदेश देती है ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाने के लिए।

मिलती है सफलता व समृद्धि

आयुर्वेद के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर टहलने से शरीर में संजीवनी शक्ति का संचार होता है। इसके अलावा यह समय अध्ययन के लिए भी सर्वोत्तम बताया गया है क्योंकि रात को आराम करने के बाद सुबह जब हम उठते हैं तो शरीर तथा मस्ति ष्क में भी स्फूर्ति व ताजगी बनी रहती है। ब्रह्म मुहूर्तके धार्मिक, पौराणिक एवं व्यावहारिक पहलुओं तथा लाभ को जानकर प्रतिदिन इस शुभ घड़ी में जागना शुरू करें तो बेहतर नतीजे मिलेंगे।

ब्रह्म मुहूर्त में उठने वाला व्यक्ति सफल, सुखी और समृद्ध होता है। इसका कारण यह है कि जल्दी उठने से दिन भर के कार्यों और योजनाओं को बनाने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है। इसलिए न केवल जीवन सफल होता है, शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने वाला हर व्यक्ति सुखी और समृद्ध हो सकता है। कारण, वह जो काम करता है उस में उसकी प्रगति होती है। विद्यार्थी परीक्षा में सफल रहता है। नौकरी करने वाले से बॉस खुश रहता है। बिजनेस मैन अच्छी कमाई कर सकता है। जो समय का सदुपयोग करे और स्वस्थ रहे, सफलता उसके कदम चूमती है। अत: स्वस्थ और सफल रहना है तो ब्रह्म मुहूर्त में उठें।