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मघा नक्षत्र : मघा नक्षत्र में जन्मे लोग तथा पुरुष और स्त्री जातक (Magha Nakshatra : Magha Nakshatra Me Janme Log Tatha Purush Aur Stri Jatak)

मघा नक्षत्र : मघा नक्षत्र में जन्मे लोग तथा पुरुष और स्त्री जातक (Magha Nakshatra : Magha Nakshatra Me Janme Log Tatha Purush Aur Stri Jatak)

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वैदिक ज्योतिष में कुल “27 नक्षत्र” है जिनमें से एक है “मघा नक्षत्र” (Magha Nakshatra)। यह आकाश मंडल तथा 27 नक्षत्रों में अट्ठाईसवें स्थान पर है। इस नक्षत्र का विस्तार राशि चक्र में “12000” से लेकर “13320” अंश तक है। मघा नक्षत्र में 6 तारें होते है पर अन्य धारणाओं के अनुसार इसमें 5 तारें होते है। इस नक्षत्र 5 या 6 तारों का मतभेद इसलिए शुरू किया गया क्योंकि मघा  नक्षत्र के 2 तारों की चमक बहुत ही कम है। आज हम आपको मघा नक्षत्र में जन्में लोग तथा पुरुष और स्त्री जातक की कुछ मुख्य विशेषताएं बतलायेंगे, पर सबसे पहले जानते है, मघा नक्षत्र से जुड़ी कुछ जरुरी बातें :

मघा नक्षत्र को “तामसिक स्त्रीनक्षत्र है। मघा “चंद्र देव” की 27 पत्नियों में से एक है तथा ये प्रजापति दक्ष की पुत्री है। “मघा “का अर्थ “महान या बड़ा” है। मघा नक्षत्र में 5 तारें छड़ी जैसी प्रतीत होती है वहीँ 6 तारें पालकी जैसी प्रतीत होती है। 

मघा नक्षत्र से जुड़े अन्य जरुरी तथ्य :

  • नक्षत्र – “मघा”
  • मघा नक्षत्र देवता – “पितर”
  • मघा नक्षत्र स्वामी – “केतु”
  • मघा राशि स्वामी – “सूर्य”
  • मघा नक्षत्र राशि – “सिंह”
  • मघा नक्षत्र नाड़ी – “अन्त्य”
  • मघा नक्षत्र योनि – “मूषक”
  • मघा नक्षत्र वश्य – “चतुष्पद”
  • मघा नक्षत्र स्वभाव – “उग्र”
  • मघा नक्षत्र महावैर – “बिडाल”
  • मघा नक्षत्र गण – “राक्षस”
  • मघा नक्षत्र तत्व – “अग्नि”
  • मघा नक्षत्र पंचशला वेध – “श्रवण” 

इनका आर्थिक और सामाजिक स्तर अच्छा होने के कारण इनके बहुत से मित्र और शत्रु होते है। इनके लिए धन, जन का सुख उत्तम होता है। ये जातक अपनी माता के साथ यज्ञादि कर्म तथा पितृ कार्य संपन्न करते है। पिता का सुख अल्प होता है। जातक उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाला, गुस्से वाला जीवनसाथी और कठोर हृदय वाला होता है।  ऋषि पराशर

मघा नक्षत्र का वेद मंत्र :

।।ॐ पितृभ्य: स्वधायिभ्य स्वाधानम: पितामहेभ्य: स्वधायिभ्य: स्वधानम:।
प्रपितामहेभ्य स्वधायिभ्य स्वधानम: अक्षन्न पितरोSमीमदन्त:
पितरोतितृपन्त पितर:शुन्धव्म । ॐ पितरेभ्ये नम:।।

मघा नक्षत्र में चार चरणें होती है। जो इस प्रकार है :

1. मघा नक्षत्र प्रथम चरण : मघा नक्षत्र के प्रथम चरण के स्वामी “मंगल देव” है तथा इस चरण पर सूर्य, मंगल और केतु का प्रभाव ज्यादा रहता है। इस चरण के जातक साहसिक, क्रियाशील और नेतृत्व करने वाले होते है। इस चरण के जातक का मध्यम कद और बड़ा सिर होता है। मघा नक्षत्र के जातक शक्तिशाली, उच्चाधिकारी और एक विख्यात न्यायाधीश होते है। ये अगर किसी से भी दुश्मनी कर लें तो उसे माफ़ नहीं करते।  

2. मघा नक्षत्र द्वितीय चरण : मघा नक्षत्र के द्वितीय चरण के स्वामी ‘‘शुक्र देव” है। इस चरण पर केतु, शुक्र तथा सूर्य ग्रह का प्रभाव होता है। इस चरण के जातक का चौड़ा ललाट, छोटी आँखें और ऊँची नाक होती है। इस चरण के जातकों के पास सत्ता और अधिकार होते हुए भी ये कूटनीति से सफलता हासिल करते है। ये कूटनीतिज्ञ, राजनीतिज्ञ, प्रशासक और प्रबंधक होते है। 

3. मघा नक्षत्र तृतीय चरण : इस चरण के स्वामी “बुध ग्रह” है। इस चरण पर केतु, मंगल तथा बुध का प्रभाव होता है। इस चरण के जातक उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले बुद्धिजीवी होते है। इस चरण के जातक का गोल गाल, ऊँची नाक और शरीर पर घना रोम होता है। इस चरण के जातक मेधावी, दोस्तों के साथ समय बिताने वाला और भोजन प्रेमी होता है।

4. मघा नक्षत्र चतुर्थ चरण : इस चरण के स्वामी “चन्द्रमा” है। इस चरण पर केतु, सूर्य तथा चन्द्रमा का प्रभाव होता है। इस चरण के जातक का तैलीय त्वचा, गोरा रंग और सुन्दर आँखे होती है। इस चरण के जातकों में भावुकता देखने को मिलती है ये कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले ही अपने लगाव के तरफ झुक जाते है। अधिकार प्राप्त जातकों के लिए मघा का चतुर्थ चरण शुभ नहीं होता। 

आइये जानते है, मघा नक्षत्र के पुरुष और स्त्री जातकों के बारे में :

मघा नक्षत्र के पुरुष जातक :

इस नक्षत्र के जातक मध्यम कद के भोले – भाले इंसान होते है। इनकी नाक ऊँची तथा इनके कंधे और हाथ पर मस्सा होता है। ये ईश्वर से डरने वाले, बड़े – बुजुर्गों का सम्मान करने वाले, विज्ञान का ज्ञाता तथा सुखी जीवन जीने वाला होता है। ये विचारवान, दूसरों को कष्ट नहीं पहुँचाने वाला लेकिन मित्र से ज्यादा दुश्मनों वाला होता है। ये गरम मिजाजी होते है और झूठ सुनना पसंद नहीं करते। इन्हें अपने व्यावसाय में परिवर्तन करना पड़ता है। ये रतौंधी रोग से पीड़ित हो सकते है। इनका दाम्पत्य जीवन सुखद होता है।   

मघा नक्षत्र के स्त्री जातक :

इस नक्षत्र की स्त्री जातिकाओं के सारे गुण और दोष पुरुष जातक के समान ही होते है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार ये ईमानदार, सत्य बोलने वाली, निर्भीक और सुन्दर होती है।  यदि इनके जन्म कुंडली में शनि और चन्द्रमा युति बनाए हुए हो तो इनके लम्बे काले बाल होते है। ये ईश्वर से डरने वाली और ज्ञानी होती है। इन्हें क्रोध बहुत आता है।  इनके कारण परिवार में मतभेद होता है।

Frequently Asked Questions

1. मघा नक्षत्र के देवता कौन है?

मघा नक्षत्र के देवता – पितर है।

2. मघा नक्षत्र का स्वामी ग्रह कौन है?

मघा नक्षत्र का स्वामी ग्रह – केतु है।

3. मघा नक्षत्र के लोगों का भाग्योदय कब होता है?

मघा नक्षत्र के लोगों का भाग्योदय – 28 वें वर्ष में होता है।

4. मघा नक्षत्र की शुभ दिशा कौन सी है?

मघा नक्षत्र की शुभ दिशा – पश्चिम है।

5. मघा नक्षत्र का कौन सा गण है?

मघा नक्षत्र का राक्षस गण है।

6. मघा नक्षत्र की योनि क्या है?

मघा नक्षत्र की योनि – मूषक है।

7. मघा नक्षत्र की वश्य क्या है?

मघा नक्षत्र की वश्य –चतुष्पद है।