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मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो ना कोईजाके सर मोर-मुकुट, मेरो पति सोई
कोई कहे कारो,कोई कहे गोरोलियो है अँखियाँ खोलकोई कहे हलको,कोई कहे भारोलियो है तराजू तौलमेरे तो गिरधर गोपालदूसरो ना कोई
कोई कहे छाने,कोई कहे छुवनेलियो है बजन्ता ढोलतन का गहना मैं सब कुछ दीन्हालियो है बाजूबंद खोलमेरे तो गिरधर गोपालदूसरो ना कोई
असुवन जल सींच-सींच प्रेम बेल बोईअब तो बेल फ़ैल गयीआनंद फल होईमेरे तो गिरधर गोपालदूसरो ना कोई
तात-मात भ्रात बंधूआपणो ना कोईछाड़ गयी कुल की कानका करीहे कोई?मेरे तो गिरधर गोपालदूसरो ना कोई
चुनरी के किये टोकओढली लिए लोईमोती-मूंगे उतारबन-माला पोईमेरे तो गिरधर गोपालदूसरो ना कोई