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जानिए रहस्यमयी महावतार बाबा के बारे में (Jaaniye Rahasyamayi Mahavatar Baba Ke Bare Me)

जानिए रहस्यमयी महावतार बाबा के बारे में (Jaaniye Rahasyamayi Mahavatar Baba Ke Bare Me)

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भारत को ऋषि मुनियों के देश कहा जाता है और इसमें कोई दो राय भी नहीं है। भारत में न जाने कितने ऐसे महान ऋषि मुनि, विद्वान हुए जिनका लोहा पूरी दुनिया ने माना। हमारे ऋषि मुनि व बाबा इतने ज्ञानी थे कि स्वयं भगवान भी उनकी प्रशंसा करते और भगवान जब पृथ्वी व मनुष्य योनि में जन्म लेते थे तो इन्हीं ऋषि मुनियों को अपने गुरु के रूप में स्वीकार करते थे।

आज भी ना जाने कितने ऐसे ऋषि मुनि बाबा है जो जिंदा है, हमारी सोच से परे और ध्यान में लीन है। ऐसे ही एक बाबा है जिन्हें महावतार बाबा भी कहा जाता है। लोगों के बीच में वे सदैव जिज्ञासा व चर्चा का विषय बने रहते है। लोग ऐसा मानते हैं कि महावतार बाबा पिछले 5000 वर्षों से जीवित है। यदि आप भी इन रहस्ययी बाबा से जुड़े रहस्यों के बारे में जानना चाहते है तो इस लेख को पूरा पढिये।

लाहिड़ी महाशय ने किया महावतार बाबा का वर्णन :

वैसे तो कई किताबों में जैसे ऑटोबायोग्राफी आफ योगी में महावतार बाबा का जिक्र है लेकिन वास्तविकता में लाहिड़ी महाशय ने महावतार बाबा से आधुनिक काल में सबसे पहले मुलाकात की। इसके बाद सन 19894 में उनके शिष्य ने महावतार बाबा से कुम्भ के मेले में मुलाकात की। लाहिड़ी महाशय के शिष्य का नाम युत्तेश्वर गिरी था।

सभी लोगों ने बाबा को बताया जवान :

लाहिड़ी महाशय व उनके शिष्य युत्तेश्वर दत्त के अलावा और भी कई लोगों ने उनको देखा है। 1861 और 1935 के बीच उनको कई बार और कई लोगों द्वारा देखे जाने के सबूत मिले हैं। युत्तेश्वर दत्त ने अपनी किताब द होली साइंस में बी उनका वर्णन किया है। अब इसमें हैरान कर देने वाली बात यह है कि लोगों ने उनको इतने वर्षों के अंतराल में देखा उसके बावजूद भी लोगों ने उनकी उम्र जवान बताई।

परमहंस योगानंद ने बनवाया था बाबा का चित्र :

परमहंस योगानंद युत्तेश्वर दत्त के शिष्य थे। उनके मुताबिक जब वे बाबा से मिले तो बाबा बेहद कम उम्र के लग रहे थे। उनके इस अद्भुत व्यक्तित्व को देखकर योगानंद इतने प्रभावित हुए की उन्होंने एक चित्रकार से महावतार बाबा का चित्र बनवाया था। यह चित्र की वजह से ही जो लोग महावतार बाबा से नही मिलते है वो भी उनके दर्शन कर पाते हैं।

25 जुलाई को बाबा का स्मृति दिवस :

बाबा का स्मृति दिवस 25 जुलाई को मनाया जाता है हो सकता है ये बात की लोगों को पता हो लेकिन क्यों इस दिन मनाया जाता है इसके पीछे की कहानी शायद ही किसी को पता होगा। दरअसल योगानंद ने ही बाबा को प्रचलित किया था और उनका सटीक वर्णन किया था क्योंकि वे उनसे स्वयं मिलकर आये थे। योगानंद ने बाबा के दर्शन 25 जुलाई 1920 में किये थे इसलिए 25 जुलाई को उनके स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाता है।

किन किन हस्तियों ने किये बाबा के दर्शन :

दक्षिण भारत के श्री एम. भी महावतार बाबा से कई बार मिल चुके हैं। बद्रीनाथ स्थित अपने आश्रम में 6 महीने की अवधि में बाबा ने अपने एक भक्त एस ए सौम्या को सम्पूर्ण 144 क्रियाओं की दीक्षा दी थी। पूना के गुरुनाथ जिन्होंने महावतार बाबा पर एक किताब भी लिखी है वे भी महावतार बाबा से मिल चुके हैं। उनकी किताब का नाम है द लाइटिंग स्टैंडिंग स्टील है।

किसके अवतार थे महावतार बाबा?

बाबा से जितने भी लोग मील है उनमें से ज्यादातर लोगों ने बाबा को श्री कृष्ण का अवतार बताया है। लाहिड़ी महाशय ने अपनी डायरी में बीबी इसका वर्णन किया है। बाबा से मिलने वाले योगानंद भी अक्सर बाबा को ‘बाबाजी कृष्ण’ कहकर पुकारते थे। योगानंद के शिष्यों के मुताबिक बाबा पूर्व जीवनकाल में श्री कृष्ण थे।

जानिए महावतार बाबा की गुफा के बारे में :

शायद आपको पता नहीं होगा लेकिन बाबा की एक गुफा भी है। उनकी गुफा उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में कुकुचीना से 13 किलोमीटर दूर दूनागिरी में स्थित है। उनकी गुफा में हज़ारों संतो और महापुरुषों ने ध्यान किया है।अभिनेता रजनीकांत और अभिनेत्री जूही चावला भी बाबा की गुफा के दर्शन करने अक्सर आते रहते हैं। बाबा ने कई लोगों को इसी गुफा में दर्शन दिए हैं।

बाबा से जुड़ी महत्वपूर्ण घटना :

योगानंद ने अपनी किताब में बाबा से जुड़ी कुछ घटनाओं का जिक्र किया है। एक घटना कुछ इस प्रकार है। एक बार बाबा रात में अपने शिष्यों के साथ धूने के पास बैठे हुए थे। बाबा ने धूने से एक जलती हुई लकड़ी को उठाकर अपने शिष्य के कंधे पर दे मारी। इसका विरोध अन्य शिष्यों ने किया। तब बाबा ने अपने शिष्यों को बताया कि ऐसा करके उन्होंने उस शिष्य की जान बचाई है और उसकी मृत्यु को टाल दिया।

एक ऐसी घटना का उल्लेख और किया गया है। योगानंद अपनी डायरी में लिखते हैं कि बाबा जी के पास कई लोग रोज आते थे। एक दिन आदमी बाबा के पास आके उनसे दीक्षा लेने की जिद करने लगा। बाबा ने इस बात के लिए इनकार कर दिया। बाबा के मना करने पर उस आदमी ने पहाड़ से कूदकर जान देने की धमकी दी थी। तो बाबा ने उस आदमी से कहा कि जाओ कूद जाओ जेक और बाबा के ऐसा कहने पर वे आदमी तुरंत कूद गया। ये दृश्य देखते ही सभी लोग हैरत में पड़ गए। बाबा में लोगों से कहा कि जो उस आदमी का शव ले आओ। शिष्य उस आदमी का शव लेकर आये जो की पूरी तरीके से क्षत विक्षत हो चुका था। चमतकार तो तब हुआ जब बाबा ने अपना हाथ उस आदमी के शव के ऊपर रखा। धीरे धीरे वह इंसान ठीक होने लगा और एकाएक करके जीवित हो गया। बाबा ने उस आदमी से कहा यह तुम्हारी परीक्षा थी जिसमे तुम पूरे तरह से सफल हुए हो आज से तुम भी मेरी टोली का हिस्सा बन गए हो।

क्या हज़ारों वर्षों से जीवित है बाबा?

एम. गोविंदन के अनुसार बाबा का जन्म 30 नवंबर 203 ईस्वी को श्रीलंका में हुआ था। उनके माता पिता ने उनका नाम नागराज रखा था। ऐसा माना जाता है कि बाबा ने स्वयं इस बात की जानकारी एएसएए रमैय्या और विटी नीलकंठन को दी थी। कुछ विद्वान ऐसा भी बताते हैं कि बाबा का जन्म तमिलनाडु इन हुआ था।

Frequently Asked Questions

1. लाहिड़ी जी का पूरा नाम क्या है ?

लाहिड़ी जी का पूरा नाम श्यामाचरण लाहड़ी  है।

2. परमहंस योगानंद के गुरु कौन थे ?

परमहंस योगानंद के गुरु स्वामी युत्तेश्वर जी भी थे।

3. लाहिड़ी जी का जन्म कब और कहाँ हुआ था ?

इनका जन्म 30 सितंबर 1828 को पश्चिम बंगाल राज्य के कृष्णा नगर के घुरणी गांव में हुआ था।

4. लाहिड़ी बाबा से संबंधित पुस्तक का नाम क्या था ?

लाहिड़ी बाबा से संबंधित पुस्तक का नाम ‘पुराण पुरुष योगीराज श्यामाचरण लाहिड़ी’ था ।